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इंटरनेशनल डेस्क. ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न की कल की शाम हिंदी के मातृत्व और हिंदी की कविता के नाम रही। पूर्वी मेलबर्न की सेंट्रल क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी (CQU) में ये शाम हिंदी के तेजी से होते विस्तार और हिंदी के कविता पाठ पर केंद्रित थी। इसमें भारत से आए टॉप-5 साहित्यकारों का अभिनंदन किया गया। भारतीय कवियों के साथ कवि और पत्रकार पंकज पाठक ने कविता पाठ किया। उन्होंने किनारे की यात्रा और प्रेम राग कविता सुनाई।
भारत के टॉप-5 साहित्यकार
भारत से टॉप-5 साहित्यकार कवि और पत्रकार पंकज पाठक (भोपाल), पूर्णिमा पाटिल (नागपुर ), डॉ. वेद व्यथित (फरीदाबाद), डॉ. नीलम भटनागर (आगरा) और डॉ. आनंद शर्मा (रोहतक) साहित्य संध्या में शामिल हुए। इन पांचों की एक विशेषता ये भी है कि ये सभी साहित्य, पत्रकारिता और शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं और हिंदी सेवी हैं।
पंकज पाठक ने सुनाईं 2 कविताएं
पंकज पाठक ने अपने कविता संग्रह दूसरे किनारे की यात्रा की कविताएं सुनाईं। इसमें 2 लंबी कविताएं दूसरे किनारे की यात्रा और प्रेम राग प्रमुख हैं। इन कविताओं को श्रोताओं ने काफी पसंद किया। पाठक ने कहा कि हर देश में हिंदी को तीसरी भाषा का दर्जा मिले, इसके लिए हमें वैश्विक अभियान चलाना होगा। डॉ. नीलम भटनागर की कविताएं भी सराही गईं। डॉ. नीलम ने भी हिंदी के और अधिक उत्थान के लिए साहित्यकारों की पहल का समर्थन किया।
हिंदी के विस्तार को गति देने की जरूरत
डॉ. वेद व्यथित ने हिंदी के विस्तार को और गति देने की जरूरत बताई और कहा कि यहां के हिंदी भाषी और हम प्रवासी हिंदी सेवियों को इसका बीड़ा उठाना होगा। डॉ. आनंद शर्मा ने हिंदी की पत्रकारिता में हिंदी के अभियान को रिपोर्टिंग का मुख्य मुद्दा बनाने की बात कही। पूर्णिमा पाटिल ने कहा कि सभी के प्रयासों से हिन्दी को उसका गौरव प्राप्त होगा। चर्चा में उषा कुमारी, शैली खन्ना, देवीराम और गौरव सिंह ने भी भाग लिया और महत्वपूर्ण सुझाव दिए। कार्यक्रम का संचालन और आभार प्रकट प्रो. सुभाष शर्मा ने किया।
हिंदी का अच्छा वातावरण बनाने में साहित्य संध्या की अहम भूमिका
मेलबर्न में भारत के काउंसिलेट जनरल कार्यालय, 30 साल पुरानी साहित्यिक संस्था साहित्य संध्या हिंदी शिक्षा संघ ने मिलकर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सहित्य संध्या के प्रमुख और हिंदी के साहित्यकार और वैज्ञानिक प्रो. सुभाष शर्मा ने की। उन्होंने हिन्दी के मातृत्व की बात कही और बताया कि वो हमारी मातृभाषा है, जिसे सर्वोच्च स्थान पर रखना होगा। उन्होंने कहा कि यहां पर हिन्दी का एक अच्छा वातावरण तैयार हो गया है, इसमें 'साहित्य संध्या' की महत्वपूर्ण भूमिका है। CQU के प्रो. अरविंद कुमार ने मेलबर्न और ऑस्ट्रेलिया के हिंदी साहित्य जगत की जानकारी दी।