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Jaipur. पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों की विधवाएं बीते कई दिनों से पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के घर के बाहर धरना दे रही थीं। गुरूवार को ये महिलाएं सीएम अशोक गहलोत से मिलने जाने लगीं, इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोक लिया। धक्का-मुक्की और नोंकझोंक के बीच एक शहीद की विधवा की तबीयत बिगड़ गई, हालांकि उसने इलाज कराने से मना कर दिया। इसके बाद वापस लौटी वीरांगनाओं ने पुनः धरना शुरू कर दिया। जिसके बाद देर रात 3 बजे उन्हें पुलिस ने धरना स्थल से उठा दिया और जबरदस्ती धरना खत्म करा दिया। उधर पुलिस ने बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा को भी हिरासत में ले लिया है। इस दौरान उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया।
पुलिस पर आरोप है कि हाथापाई के दौरान सांसद मीणा को चोट लगी है। उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां से सवाई मान सिंह अस्पताल रेफर कर दिया गया। सांसद मीणा की गिरफ्तारी की जानकारी लगने के बाद उनके समर्थकों ने आगरा-जयपुर नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया। दूसरी तरफ पुलिस ने सफाई दी कि सांसद मीणा को न तो हिरासत में लिया गया है और न ही उन्हें अरेस्ट किया गया है।
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असल में मीणा वीरांगना मंजू जाट के घरवालों से मिलने के लिए उनके घर जाने वाले थे, लेकिन पुलिस ने सामोद थाना के पास उन्हें रोक लिया। इस प्रकार रोके जाने से नाराज मीणा और पुलिस के बीच काफी बहस भी हुई थी। करीब डेढ़ घंटे तक मीणा को पुलिस ने सड़क पर ही रोके रखा। इसके बाद पुलिस के आला अधिकारियों ने उन्हें वापस जाने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं माने। जिसके बाद सांसद को जबरन मौके से हटाया गया। कहा जा रहा है कि इसी दौरान उन्हें चोट लगी और उनकी तबीयत बिगड़ गई।
मुंह में घास रखकर प्रदर्शन
इधर परिवार के साथ बैठी वीरांगनाओं ने मुंह में घास दबाकर सीएम हाउस का रुख किया था। राजभवन चौक के पास पुलिस ने उन्हें रोक लिया था। पुलिस से नोंकझोंक के बाद वीरांगनाएं सचिन पायलट के घर के बाहर धरने पर बैठ गई थीं।
इस मामले को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि शहीद हेमराज मीणा की पत्नी उनकी तीसरी मूर्ति एक चौराहे पर स्थापित करवाना चाहती है जबकि पूर्व में शहीद की दो मूर्तियां राजकीय कॉलेज सांगोद के प्रांगण और उनके पैतृक गांव में स्थापित की जा चुकी है। ऐसे में यह मांग उचित नहीं है। शहीद रोहिताश लांबा की पत्नी अपने देवर के लिए अनुकंपा नियुक्ति मांग रही हैं। यदि ऐसा किया गया तो सभी शहीदों के परिजन-रिश्तेदार नौकरी मांगने लगेंगें। शहीद के बच्चों का हक मारकर अन्य रिश्तेदार को नौकरी देना उचित ठहराया जा सकता है क्या?