पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, अब हो सकती हैं गिरफ्तार

पूजा खेडकर पर सिविल सेवा परीक्षा 2022 में धोखाधड़ी और ओबीसी और विकलांगता कोटे का गलत लाभ उठाने का आरोप है। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ठोस साक्ष्य मौजूद हैं। मामले की साजिश का पता लगाने के लिए गहन जांच की आवश्यकता है।

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Sandeep Kumar
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pooja khedkar civil service Photograph: (pooja khedkar civil service)

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दिल्ली हाईकोर्ट ने सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी और आरक्षण दुरुपयोग के मामले में पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत खारिज कर दी है। अब पूजा की इस मामले में गिरफ्तारी भी हो सकती है। दरअसल पूजा खेडकर पर सिविल सेवा परीक्षा 2022 में धोखाधड़ी और ओबीसी और विकलांगता कोटा का गलत लाभ उठाने का आरोप है। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ठोस साक्ष्य मौजूद हैं, मामले की साजिश का पता लगाने के लिए गहन जांच की आवश्यकता है।

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कोर्ट ने खारिज की अग्रिम जमानत याचिका

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि खेडकर के खिलाफ प्रथम दृष्टया सशक्त मामला बनता है और इस मामले की संवैधानिक और सामाजिक महत्व को देखते हुए जांच जरूरी है। यूपीएससी ने पूजा खेड़कर के खिलाफ जुलाई में आपराधिक मामला दर्ज कराया था। आरोप है कि उन्होंने आरक्षण का लाभ लेने के लिए गलत जानकारी दी और फर्जी पहचान का उपयोग किया।

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आरोपों से खारिज की खेडकर ने सफाई

पूजा खेडकर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है। हालांकि, दिल्ली पुलिस और यूपीएससी ने कोर्ट में ठोस दलीलें पेश कीं, जिनके आधार पर जमानत याचिका खारिज की गई। कोर्ट ने इस मामले को संवैधानिक संस्था और समाज के साथ धोखाधड़ी का गंभीर उदाहरण बताया। यह मामला भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है।

पूजा खेडकर ​पर आरोप

पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने 2022 में आयोजित यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए गलत जानकारी दी। इसके माध्यम से उन्होंने ओबीसी और दिव्यांग कोटे का अनुचित लाभ उठाने का प्रयास किया। आरोप है कि खेडकर ने अपने आवेदन में फर्जी जानकारी दी, जिसके आधार पर उन्हें सिविल सेवा परीक्षा में सम्मिलित होने का मौका मिला।

यूपीएससी और दिल्ली पुलिस का विरोध

इस मामले में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और दिल्ली पुलिस ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया। यूपीएससी का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक और वकील वर्धमान कौशिक ने किया। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें पूजा खेडकर पर सिविल सेवा परीक्षा में फर्जी तरीके से शामिल होने और आरक्षण का गलत लाभ उठाने का आरोप है।  यूपीएससी द्वारा जुलाई 2024 में खेडकर के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई थी, जिसके तहत उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। पुलिस का आरोप है कि खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा में आवेदन करते समय अपनी पहचान छुपाई और गलत जानकारी प्रदान की, ताकि वे ओबीसी और दिव्यांग कोटे का लाभ उठा सकें। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में जांच तेज कर दी है और अब इस मामले में कार्रवाई करने के लिए अदालत के निर्देश का पालन किया जा रहा है।

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