पूजा खेडकर अब ट्रेनी IAS नहीं, एग्जाम में बैठने पर भी लगा बैन, UPSC का बड़ा एक्शन

ट्रेनी IAS पूजा खेडकर को यूपीएससी ने नौकरी से हटा दिया है। फिलहाल वह प्रोबेशन पर थीं, लेकिन स्थायी नियुक्ति से पहले ही उन्हें बाहर कर दिया गया। साथ ही यूपीएससी परीक्षा देने पर भी बैन लगाया गया है।

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Amresh Kushwaha
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पूजा खेडकर अब ट्रेनी IAS नहीं
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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर पर बड़ा एक्शन लिया है। आयोग ने उनकी अस्थायी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया है। इसके अलावा खेडकर पर भविष्य में होने वाली किसी भी परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगाई गई है। खेडकर के तमाम दस्तावेजों की जांच के आधार पर यूपीएससी ने खेडकर को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन करने का दोषी पाया।

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महाराष्ट्र में थी तैनात

पूजा खेडकर को महाराष्ट्र में ट्रेनी आईएएस के तौर पर तैनात किया गया था। अपनी पहली ही पोस्टिंग में उन्हें अजीब-अजीब डिमांड रखना शुरू कर दिया था। इस पर विवाद बढ़ा तो उनका ट्रांसफर पुणे से वाशिम किया गया था। यही नहीं बाद में सामने आया कि उन्होंने ओबीसी के नॉन क्रीमी लेयर वाले आरक्षण को हासिल करने के लिए गलत दस्तावेज दिए थे।

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UPSC ने दर्ज कराई थी FIR

पूजा खेडकर ने आपने दस्तावेज में अपना, मां-पिता का नाम भी बदल डाला था। ऐसा इसलिए किया गया ताकि ओबीसी आरक्षण का लाभ मिले और यूपीएससी परीक्षा में बैठने का अतिरिक्त मौका मिल सके। इस मामले ने तूल पकड़ा तो यूपीएससी ने उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई थी। इसके अलावा उन्हें पहचान छिपाकर परीक्षा में बैठने का मौका पाने का दोषी पाया गया। नोटिस का जवाब देने के लिए पूजा खेडकर को 25 जुलाई तक का वक्त मिला था, लेकिन उन्होंने 4 अगस्त तक का समय मांग लिया था। उनका कहना था कि इस दौरान मैं जरूरी दस्तावेज जुटा लूंगी।

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यूपीएससी परीक्षा देने पर लगा बैन

पूजा की अपील पर यूपीएससी ने उन्हें 30 जुलाई को दोपहर 3:30 बजे तक जवाब देने का वक्त दिया था। इस टाइम तक जवाब नहीं मिला तो फिर यूपीएससी ने उन्हें सेवा से बाहर करने का फैसला लिया। यही नहीं अब आगे वह किसी यूपीएससी परीक्षा में हिस्सा भी नहीं ले सकेंगी।

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UPSC ने खंगाले 15 साल के रिकॉर्ड

पूजा खेडकर मामले की जांच के लिए यूपीएससी ने पिछले 15 साल के डेटा की समीक्षा की। इसमें सामने आया कि खेडकर का इकलौता केस था जिसमें यह पता नहीं लगाया जा सका कि खेडकर ने कितनी बार यूपीएससी का एग्जाम दिया। क्योंकि उन्होंने हर बार न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था। अब भविष्य में ऐसा न हो सके, इसके लिए यूपीएससी एसओपी को और मजबूत करने की तैयारी कर रही है।

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