प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर सत्ता के दुरुपयोग के कारण चर्चा में हैं। विवाद के बाद उनका पुणे से ट्रांसफर भी किया जा चुका है। अब उनकी सिविल सेवा परीक्षा को लेकर चौंकाने वाले दावे किए जा रहे हैं।
सिविल सेवा परीक्षा के दौरान उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग ( UPSC ) को एक हलफनामा दिया था। इसमें दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का दावा किया गया था। खेडकर द्वारा बताई गई विकलांगताओं का इस्तेमाल यूपीएससी चयन के दौरान विशेष रियायतें प्राप्त करने के लिए किया गया था।
ये खबर भी पढ़िए...जान लीजिए जीएसटी का सच... वित्त मंत्री का नकली वीडियो कैसे सोशल मीडिया पर छाया
बार-बार मेडिकल टेस्ट से बचती रहीं पूजा खेडकर
रिपोर्ट के मुताबिक, परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के बावजूद, इन रियायतों के कारण वह परीक्षा पास करने में सफल रहीं और उन्होंने ऑल इंडिया रैंक (एआईआर) 841 हासिल की। चयन के बाद यूपीएससी ने उनकी विकलांगता की पुष्टि करने के लिए मेडिकल टेस्ट कराने को कहा।
खेडकर ने छह अलग-अलग मौकों पर इन टेस्ट में शामिल होने से इनकार कर दिया। उनका पहला मेडिकल एग्जामिनेशन 22 अप्रैल, 2022 को दिल्ली के एम्स में शेड्यूल था। लेकिन उन्होंने कोविड पॉजिटिव होने का दावा करते हुए टेस्ट के लिए जाने से मना कर दिया।
इसके बाद दिल्ली के एम्स और सफदरजंग अस्पताल में 26 और 27 मई को उनका मेडिकल एग्जामिनेशन होना था लेकिन वह वहां भी नहीं गईं। वह लगातार इन टेस्ट से बचती रहीं। 1 जुलाई को एक और अपॉइंटमेंट था लेकिन इस बार भी वह जाने से चूक गईं।
बाहर से कराई MRI, यूपीएससी ने की खारिज
हालांकि वह शुरू में 26 अगस्त, 2022 को किसी तरह एक मेडिकल एग्जामिनेशन के लिए सहमत हो गई थीं। इस बार वह टेस्ट के लिए गई थीं। कुछ टेस्ट करने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें 2 सितंबर को एक बेहद जरूरी एमआरआई कराने के लिए बुलाया था। इस एमआरआई का उद्देश्य उनकी दृष्टि हानि का आकलन करना था। लेकिन वह नहीं गईं।
इन टेस्ट में शामिल होने के बजाय, खेडकर ने एक बाहरी सेंटर से एमआरआई कराई और रिपोर्ट लाकर दी। लेकिन यूपीएससी ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया। इसके बाद यूपीएससी ने उनके चयन को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी, इसमें 23 फरवरी, 2023 को उनके खिलाफ फैसला सुनाया।
इसके बावजूद, बाद में उनके एमआरआई प्रमाणपत्र को स्वीकार कर लिया गया और उनकी आईएएस के तौर पर नियुक्ति हो गई। विकलांगता के दावों के अलावा, खेडकर के ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर दर्जे के दावों में भी विसंगतियां पाई गईं।
बेटी की डिमांड के लिए पिता ने भी बनाया दवाब
पूजा ने रेवेन्यू असिस्टेंट को ये निर्देश दिया कि वह लेटर हेड, विजिटिंग कार्ड, पेपर वेट, नेम प्लेट, रॉयल सील और इंटरकॉम भी उनके नाम पर इशू करें। यह भी आरोप है की पूजा के पिता जो खुद एक रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं, उन्होंने भी जिला कलेक्टर ऑफिस पर दबाव बनाया कि वह उनकी बेटी की डिमांड को पूरा करें।
पूजा खेडकर मसूरी से ट्रेनिंग के बाद पूणें में बतौर अपर कलेक्टर तैनात हुई थी। वहां पर वह असिस्टेंट कलेक्टर पद की ट्रेनिंग के लिए गई थी। अब ट्रेनिंग पूरी होने से पहले ही मध्य महाराष्ट्र के वाशिम जिले में उनका तबादला हो गया है।
ये खबर भी पढ़िए...इंडियन पोर्ट एसोसिएशन के एमडी बने आईएएस विकास नरवाल
कौन है पूजा खेडकर?
पूजा खेडकर ने 2021 में यूपीएससी की परीक्षा पास की और 821 वीं रैंक पाई। पूजा खेडकर ने खुद को दिव्यांग बताते हुए कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के खिलाफ याचिका दायर की थी।
पूजा खेडकर ने तर्क दिया था कि दिव्यांग उम्मीदवारों को एससी और एसटी उम्मीदवारों की तुलना में ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में उनको समान लाभ मिलना चाहिए। यूपीएससी कम्युनिकेशन में 2 फरवरी 2022 में छपी जानकारी के अनुसार पूजा खेडकर को अपॉइंटमेंट देने से मना कर दिया गया था।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक