पूनिया ने लौटाया पद्मश्री अवार्ड, पीएम के घर के सामने फुटपाथ पर रखा अवार्ड, चिट्ठी में लिखा- ऐसी सम्मानित जिंदगी नहीं जी पाऊंगा

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Jitendra Shrivastava
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पूनिया ने लौटाया पद्मश्री अवार्ड, पीएम के घर के सामने फुटपाथ पर रखा अवार्ड, चिट्ठी में लिखा- ऐसी सम्मानित जिंदगी नहीं जी पाऊंगा

NEW DELHI. पहलवान बजरंग पूनिया ने पद्मश्री अवार्ड लौटाने का ऐलान किया है। बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोशल मीडिया के जरिए चिट्‌ठी में लिखा कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार आपको वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है। ढाई पेज की इस चिट्‌ठी में बजरंग पूनिया ने भारतीय कुश्ती संघ (WFI) पर बृजभूषण के करीबी संजय सिंह की जीत का विरोध किया है। बजरंग पूनिया को 12 मार्च 2019 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। बजरंग ने कहा कि महिला पहलवानों के अपमान के बाद वे ऐसी सम्मानित जिंदगी नहीं जी पाएंगे, इसलिए अपना सम्मान लौटा रहे हैं। अब वह इस सम्मान के बोझ तले नहीं जी सकते।

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बृजभूषण सिंह के आरोप पर ध्यान दिलाया

प्रधानमंत्री को भेजी चिट्ठी में बजरंग पूनिया ने लिखा की आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे। इस भारी व्यस्तता के बीच आपका ध्यान हमारी कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं। आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण सिंह पर सेक्सुअल हैरेसमेंट के गंभीर आरोप लगाए थे। जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया था। आंदोलित पहलवान जनवरी में अपने घर लौट गए, जब उन्हें सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही।

हमें कोर्ट में जाकर दर्ज करवानी पड़ी FIR

3 महीने बाद भी बृजभूषण पर एफआईआर तक नहीं की। इसके बाद हम पहलवानों ने अप्रैल में दोबारा सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया, ताकि दिल्ली पुलिस कम से कम बृजभूषण पर एफआईआर दर्ज करे। लेकिन फिर भी बात नहीं बनी तो हमें कोर्ट में जाकर FIR दर्ज करवानी पड़ी। जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी, जो अप्रैल तक आते-आते 7 रह गई थी। यानी इन 3 महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था। आंदोलन 40 दिन चला। इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गईं। हम सब पर बहुत दबाव आ रहा था। हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस-नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी।

दबदबा है और दबदबा कायम रहेगा

हमने उनकी बात मानकर सड़कों से अपना आंदोलन समाप्त कर दिया क्योंकि कुश्ती संघ का हल सरकार कर देगी और न्याय की लड़ाई न्यायालय में लड़ी जाएगी, ये 2 बातें हमें तर्कसंगत लगीं। लेकिन बीती 21 दिसंबर को हुए कुश्ती संघ के चुनाव में संजय सिंह अध्यक्ष चुने गए हैं जो कि बृजभूषण सिंह के रबर स्टाम्प माने जाते हैं। इससे लगता है कि एक बार फिर अध्यक्ष की कुर्सी पर बृजभूषण सिंह ही दोबारा काबिज हो गया है। वहीं उसने स्टेटमेंट दी कि दबदबा है और दबदबा रहेगा।

सम्मान मिलने पर खुश था, पर अब ज्यादा दुखी हूं

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इसी मानसिक दबाव में आकर ओलिंपिक पदक विजेता एकमात्र महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया। हम सभी की रात रोते हुए निकली। समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाएं, क्या करें और कैसे जियें। इतना मान-सम्मान दिया सरकार ने, लोगों ने, क्या इसी सम्मान के बोझ तले दबकर घुटता रहूं। साल 2019 में मुझे पद्मश्री से नवाजा गया। खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। जब यह सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ। लगा था कि जीवन सफल हो गया, लेकिन आज उससे कहीं ज्यादा दुखी हूं और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं। कारण सिर्फ एक ही है, जिस कुश्ती के लिए ये सम्मान मिले, उसमें हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती तक छोड़नी पड़ रही है। मैं इस तरह की सम्मानित जिंदगी नहीं जी पाऊंगा।

इससे पहले साक्षी मलिक ने लिया संन्यास

देश की इकलौती ओलिंपियन मेडल विजेता रेसलर साक्षी मलिक ने WFI चुनाव के रिजल्ट के बाद कल दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संन्यास ले लिया था। साक्षी ने अपने जूते निकालकर वहीं टेबल पर रख दिए थे। इससे पहले साक्षी ने कहा कि हम लड़ाई नहीं जीत पाए, कोई बात नहीं। हमारा समर्थन करने देशभर से दूर-दूर से आए लोगों का आभार। हमारी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी।

आज से आप मुझे मैट पर नहीं देखेंगेः साक्षी

भरी हुई आवाज में साक्षी ने कहा कि पहलवानों ने WFI में महिला प्रेसिडेंट की मांग की थी, लेकिन सब जानते हैं कि बृजभूषण का तंत्र कितना मजबूत है। मैं और बजरंग पूनिया गृहमंत्री से मिले थे। हमने बाकायदा लड़कियों के नाम लेकर उन्हें बताया था कि रेसलिंग को बचा लें, लेकिन कुछ नहीं हुआ। चुने गए नए अध्यक्ष संजय सिंह बृजभूषण सिंह के पार्टनर हैं। जब तक बृजभूषण सिंह और उनके जैसे लोग कुश्ती संघ से जुड़े हैं, न्याय की उम्मीद नहीं है। ऐसे में मैं आज से ही अपनी कुश्ती त्यागती हूं। आज से आप मुझे मैट पर नहीं देखेंगे।

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