कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार चर्चा का कारण उनका बैग है, जिस पर फिलिस्तीन लिखा हुआ था। प्रियंका गांधी जब संसद में इस बैग के साथ पहुंचीं, तो राजनीतिक हलकों में हंगामा मच गया। बीजेपी ने इसे कांग्रेस के "फिलिस्तीन प्रेम" का प्रतीक बताया और मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि प्रियंका गांधी मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए ऐसा कर रही हैं।
प्रियंका का फिलिस्तीन प्रेम फिर आया सामने
प्रियंका के बैग पर फिलिस्तीन लिखा हुआ दिखाई दिया, जिसने राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी। इस घटना को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रियंका गांधी का यह कदम मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा है। यह पहली बार नहीं है जब प्रियंका गांधी को फिलिस्तीन के प्रति समर्थन दिखाते हुए देखा गया है। इससे पहले भी उन्होंने फिलिस्तीन के राजदूत अब्द एलरजेक अबू जाजेर से मुलाकात की थी और गाजा में हो रही मौतों पर इजराइल की आलोचना की थी।
इजराइल-फिलिस्तीन विवाद पर प्रियंका का बयान
प्रियंका गांधी पहले भी इजराइल-फिलिस्तीन विवाद पर अपने विचार व्यक्त कर चुकी हैं। अक्टूबर 2024 में हमास और इजराइल के बीच जारी संघर्ष पर प्रियंका ने इजराइल की तीखी आलोचना की थी। प्रियंका ने कहा था कि गाजा में 7,000 से अधिक लोगों की मौत हुई, जिनमें 3,000 मासूम बच्चे शामिल थे। प्रियंका गांधी का यह बयान अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत की कूटनीति के रुख से अलग था, जिसके बाद सियासी हलकों में काफी विवाद हुआ था।
बीजेपी ने प्रियंका के बैग पर साधा निशाना
केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने प्रियंका गांधी के इस कृत्य को मुस्लिम वोट बैंक साधने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा, "यह कांग्रेस की पुरानी आदत है। जब भी चुनाव आते हैं, कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करने लगती है। प्रियंका गांधी का यह कदम उसी राजनीति का हिस्सा है।" बीजेपी नेताओं ने प्रियंका गांधी के इस कदम को राष्ट्रीय राजनीति के खिलाफ बताया और कांग्रेस की नीयत पर सवाल उठाए।
कांग्रेस की सफाई का इंतजार
प्रियंका वाड्रा के 'फिलिस्तीन' लिखे बैग को लेकर अब तक कांग्रेस की ओर से कोई औपचारिक सफाई नहीं आई है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। कई बार, कांग्रेस के नेता अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बयान देकर भारत की विदेश नीति से अलग रुख अपनाते हैं, जिससे राष्ट्रीय राजनीति में विवाद खड़ा हो जाता है। इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है।
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