एक बार फिर सुर्खियों में RSS प्रमुख मोहन भागवत, जानें हिंदू धर्म को लेकर बताई कौन सी परिभाषा

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत राजस्थान के दौरे पर हैं। रविवार को मोहन भागवत ने अलवर में एक जनसभा को संबोधित किया। जहां उन्होंने हिंदू धर्म को लेकर कई अहम बातें कहीं।

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Raj Singh
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सुप्रीमो अक्सर अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं। इन दिनों वे राजस्थान के दौरे पर हैं। राजस्थान के पांच दिवसीय दौरे पर आए मोहन भागवत ने रविवार को अलवर में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। नगर संगठन कार्यक्रम के पहले दिन मोहन भागवत ने इंदिरा गांधी स्टेडियम में स्वयंसेवकों को संबोधित किया। इस दौरान आरएसएस प्रमुख ने कहा कि देश में कुछ अच्छा होता है तो हिंदू समाज की ख्याति बढ़ती है। कुछ गलत होता है तो हिंदू समाज को दोषी ठहराया जाता है, क्योंकि वे इस देश के कर्ताधर्ता हैं।

मोहन भागवत बोले- देश में पारिवारिक मूल्य खतरे में

इस कार्यक्रम में मोहन भागवत ने हिंदू धर्म की परिभाषा भी समझाई। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म दरअसल एक मानव धर्म है, यह सबके कल्याण की बात करता है। यह सबका भला चाहता है। भागवत ने पारिवारिक मूल्यों को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि देश में पारिवारिक मूल्य खतरे में हैं। मीडिया के दुरुपयोग के कारण नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने मूल्यों को भूल रही है, जो चिंता का विषय है।

मोहन भागवत ने अगले साल आरएसएस की 100वीं वर्षगांठ के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि अगले साल आरएसएस अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर लेगा। आरएसएस की कार्यपद्धति लंबे समय से चली आ रही है। जब हम काम करते हैं, तो उसके पीछे क्या विचार होता है? हमें इसे ठीक से समझना चाहिए।

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धन का इस्तेमाल दान के लिए

मोहन भागवत यहीं नहीं रुके, उन्होंने हिंदू धर्म को लेकर और भी कई अहम बयान दिए। उन्होंने कहा कि हिंदू अपने धन का इस्तेमाल नशा करने के लिए नहीं करते बल्कि, दान करने के लिए करते हैं। साथ ही वे अपनी शक्ति का दुरुपयोग न करके कमजोरों की रक्षा के लिए करता है। जिसकी भी यह संस्कृति है, वह हिंदू है। चाहे वह किसी की भी पूजा करता हो, कोई भी भाषा बोलता हो, किसी भी जाति में पैदा हुआ हो, किसी भी रीति-रिवाज को मानता हो। जिसकी भी यह संस्कृति है, वे सभी हिंदू हैं।

छुआछूत को लेकर की अपील

मोहन भागवत ने संघ कार्यकर्ताओं से छुआछूत और ऊंच-नीच की भावना को मिटाने की अपील की। भागवत ने कहा कि हम अपना धर्म भूल गए और स्वार्थ के अधीन हो गए, इसीलिए समाज में छुआछूत और ऊंच-नीच की भावना बढ़ी। हमें इसे पूरी तरह से मिटाना होगा। जहां भी संघ का काम प्रभावी है या संघ की शक्ति है, वहां कम से कम मंदिर, पानी, श्मशान हिंदुओं के लिए खुले रहेंगे। हमें यह काम समाज की मानसिकता बदलकर करना है और सामाजिक समरसता के जरिए बदलाव लाना है।

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