संसद के शीतकालीन सत्र में देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है। इससे इंडिया गठबंधन के सांसदों के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। जानकारी के अनुसार इसे उपसभापति द्वारा तकनीकी आधार पर खारिज किया गया है। सभापति के खिलाफ विपक्षी सांसदों द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव पर उपसभापति हरिवंश ने फैसला सुनाया है। उपसभापति ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज करते हुए कह दिया कि ये प्रस्ताव दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ केवल नेरेटिव बनाने के लिए लाया गया था।
अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने की ये वजह
उपराष्ट्रपति धनखड़ के खिलाफ आए इस प्रस्ताव को खारिज होने की वजह भी बताई। इसमें कहा गया कि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस कम से कम 14 दिन पहले लाया जाना चाहिए था, जबकि ऐसा नहीं हुआ। इसलिए नियमों का पालन न होने के चलते इसे खारिज किया गया।
पिछले हफ्ते क्या हुआ था?
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के प्रस्ताव संबंधी मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप प्रत्यारोप का खूब खेल चला। इस दौरान हंगामे के चलते कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित की गई। वहीं स्थगन के पहले धनखड़ ने विपक्ष पर उनके खिलाफ दिन-रात नकारात्मक अभियान चलाने का आरोप लगाया था। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने सभापति को लेकर पक्षपाती तक कह दिया था।
धनखड़ ने बोला था विपक्ष का हमला
उपसभापति धनखड़ ने कहा था कि वे किसान के बेटे हैं और कमजोर नहीं पड़ने वाले हैं। इसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और उपसभापति के बीच काफी बहस भी हुई थी। जगदीप धनखड़ ने यह भी कहा था कि मैं व्यक्तिगत रूप से दुखी हूं कि मुख्य विपक्षी दल ने इसे सभापति के खिलाफ अभियान के रूप में पेश किया है। विपक्ष ने मेरे खिलाफ प्रस्ताव लाने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा था कि विपक्ष संवैधानिक प्रावधानों से भटक रहा है।
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