DELHI. न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़े कॉलेजियम सिस्टम को लेकर पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में मतभेद चल रहा है, कॉलेजियम विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार जजों के बारे में सभी जानकारी को सार्वजनिक करने का फैसला किया है, सूत्रों के हवाले से एक मीडिया संस्थान ने कहा कि केंद्र सरकार की आपत्तियों का जवाब देने के लिए चीफ जस्टिस की अगुवाई में कॉलेजियम ने तय किया कि इस बार सारे मामले सार्वजनिक किए जाएं।
सरकार में चिंता का माहौल
केंद्र सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक नहीं करने की परंपरा रही है, इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पदों के लिए संभावित उम्मीदवारों की छानबीन करती हैं। खुफिया एजेंसियों की गोपनीयता को बनाए रखने की भी प्रथा रही है, हालांकि, अब इन सभी बातों के खुलासे ने सरकार के अंदर चिंता पैदा कर दी है, जिसे लगता है कि इसका खुलासा नहीं किया जाना चाहिए था और सार्वजनिक रूप से इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए था।
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अगले सप्ताह अंतिम निर्णय
सूत्रों के हवाले से मीडिया संस्थान ने कहा कि आजादी के बाद से चली आ रही इस पंरपरा के बारे में चीफ जस्टिस को संवेदनशील बनाने के लिए अंतिम फैसला लिया जाएगा, सरकार के सूत्रों का कहना है कि न्यायाधीशों के पुनर्मूल्यांकन की विधिवत प्रक्रिया की जाएगी और अगले सप्ताह के अंत में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
सौरभ कृपाल के नाम पर था मतभेद
सरकार ने सौरभ के विदेशी पार्टनर होने के चलते सुरक्षा के मद्देनजर कॉलेजियम से उनके नाम पर फिर विचार करने के लिए कहा था, विदेशी पार्टनर होने के चलते इंटेलिजेंस ब्यूरो ने भी सौरभ के खिलाफ ही रिपोर्ट दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट भी अड़ गया, कॉलेजियम ने हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में RAW और IB रिपोर्ट को भी सार्वजनिक कर दिया।