RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, बोले- भारत एक हिंदू राष्ट्र, भाषा और जाति के विवाद से ऊपर उठें लोग

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने सनातन धर्म को लेकर खास संदेश दिया है। भागवत ने कहा कि अगर सुरक्षित रहना है तो भाषा, जाति और प्रांत के मतभेदों और विवादों को खत्म करके एकजुट होने होगा।

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Sandeep Kumar
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चीफ मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat ) ने भारत को हिंदू राष्ट्र (hindu nation )  बताया है। उन्होंने कहा कि जातीय, भाषा और क्षेत्रीय विवादों को मिटाकर हिंदू समाज (hindu society ) को अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होने की जरूरत है। भागवत ने राजस्थान के बारां में स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम यहां प्राचीन काल (ancient times ) से रह रहे हैं। भले ही हिंदू शब्द बाद में आया। हिंदू सभी को गले लगाते हैं। वे निरंतर संवाद के माध्यम से समरसता के साथ रहते हैं।

एक समाज केवल परिवार से नहीं बनता

RSS चीफ मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा। आचरण में अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और लक्ष्य के प्रति समर्पण आवश्यक गुण हैं। एक समाज केवल व्यक्तियों और उनके परिवारों से नहीं बनता है, बल्कि चिंताओं पर विचार करने से बनता है। मोहन ने कहा कि आरएसएस की कार्यप्रणाली यात्रिक नहीं बल्कि विचारों पर आधारित है। 

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स्वयंसेवकों को सक्रिय रहना चाहिए : भागवत

भागवत ने कहा स्वयंसेवकों (volunteers ) को हमेशा सक्रिय रहना चाहिए और परिवारों के भीतर सौहार्द, पर्यावरण जागरूकता, स्वदेशी मूल्यों और नागरिक चेतना को बढ़ावा देना चाहिए, जो किसी समाज के बुनियादी घटक हैं। उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक साख और प्रतिष्ठा का श्रेय इसकी ताकत को जाता है और इसके प्रवासियों की सुरक्षा तभी सुनिश्चित होती है जब उनका राष्ट्र मजबूत बने। आपको बताते चले कि मोहन भागवत के इस कार्यक्रम में कुल 3 हजार 8 सौ 27 आरएसएस ( RSS ) स्वयंसेवकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

संघ अतुलनीय है : मोहन

मोहन ने कहा कि संघ कार्य यंत्रवत नहीं, बल्कि विचार आधारित है। संघ कार्य की तुलना योग्य कार्य विश्व में नहीं है। संघ की किसी से तुलना नहीं हो सकती है। संघ से संस्कार गटनायक में जाते है, गटनायक से स्वयंसेवक और स्वयंसेवक से परिवार तक जाते हैं। संघ में व्यक्ति निर्माण की यही पद्धति है। मोहन भागवत ने कहा कि समाज निर्माण के लिए RSS के बराबर का प्रयास करने वाला दुनिया में और दूसरा कोई संगठन नहीं है। उन्होंने कहा कि जैसे समुद्र अद्वितीय है, वैसे ही आकाश भी अद्वितीय है, ठीक उसी तरह आरएसएस ( RSS ) भी अतुलनीय (incomparable ) है। 

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