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उत्तर प्रदेश के संभल में प्राचीन शिव मंदिर अचानक सामने आया है। यह मंदिर 1978 से बंद था और लोगों को इसके अस्तित्व के बारे में जानकारी तक नहीं थी। 14 दिसंबर 2024 को बिजली चोरी की जांच के दौरान प्रशासन की कार्रवाई के दौरान यह मंदिर मिला। मंदिर के अंदर शिवलिंग, हनुमान जी, नंदी, कार्तिकेय की मूर्तियां और एक प्राचीन कुआं मिला है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मंदिर को अवैध कब्जे से मुक्त कराया।
46 सालों तक क्यों बंद रहा मंदिर?
सवाल यह उठता है कि आखिर 46 सालों से मंदिर बंद क्यों था। मंदिर जिस जगह पर मिला है, वहां से 200 मीटर की दूरी पर सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का घर है और डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर शाही जामा मस्जिद है। संभल के डीएम ने बताया कि अगर यह बिजली चोरी की जांच नहीं होती तो मंदिर पर अतिक्रमण कर लिया जाता और यह पूरी तरह से कब्जे में चला जाता। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि 1976 में संभल जामा मस्जिद के इमाम मुहम्मद हुसैन की हत्या कर दी गई थी। दैनिक जागरण की रिपोर्ट और द प्रिंट की खबर में बताया गया है कि 55 वर्षीय हिंदू निवासी सुशील गुप्ता, जो मस्जिद के सामने की गली में रहते हैं, ने इस घटना की पुष्टि की। संसदीय रिकॉर्ड और एस.एल.एम. प्रेमचंद की 1979 में प्रकाशित किताब 'मॉब वायलेंस इन इंडिया' में भी कहा गया है कि हत्या एक हिंदू व्यक्ति द्वारा की गई थी।
हत्या के बाद इमाम मुहम्मद हुसैन का परिवार यूपी के आजमगढ़ जिले के अहिरौला में बस गया। इस घटना के बाद इलाके में सांप्रदायिक तनाव इतना बढ़ा कि दंगे भड़क गए। जानकारी के अनुसार 1976 और 1978 में यहां दंगे हुए, जिसके बाद हिन्दू समाज ने बड़ी संख्या में पलायन करना शुरू कर दिया। हालात बिगड़ने पर स्थानीय मंदिर को ताले में बंद कर दिया गया।
मंदिर का इतिहास और विवाद
सुशील गुप्ता बताते हैं कि हाल ही में हुई हिंसा के बाद उन्होंने अपने 82 वर्षीय चाचा से मस्जिद के पुराने इतिहास के बारे में चर्चा की। उनके चाचा ने बताया कि इस मस्जिद में कभी धातु की चेन से जुड़ी घंटी लटकती थी।
इतना ही नहीं, मस्जिद के सामने एक कांच की शीट हुआ करती थी, जिस पर तोते के हरे रंग की स्याही से लिखा था कि यह स्थान कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था। गुप्ता ने कहा, मुझे नहीं पता कि उस साइन बोर्ड का क्या हुआ, लेकिन हम सभी को गुंबद से लटकी जंजीर की याद है। क्या वह मुस्लिम संरचना की तरह लगती है?
विवादों के निशान और सबूत
गुप्ता के अनुसार, मस्जिद और मंदिर के इस विवाद ने सांप्रदायिक तनाव को और गहरा कर दिया। पुरानी पीढ़ी के लोग अभी भी उस दौर की घटनाओं को याद करते हैं, जो आज भी एक सवाल बनकर खड़ी हैं।
1978 के दंगों का काला अध्याय
1978 में संभल में भयंकर सांप्रदायिक दंगे हुए थे। उस समय माहौल इतना बिगड़ गया था कि हिंदू परिवारों को पलायन करना पड़ा। 1976 में जामा मस्जिद के मौलाना की हत्या के बाद हिंसा भड़की थी, जिसमें हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच संघर्ष तेज हुआ। संसद तक इस मुद्दे को उठाया गया था और एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी भेजने की बात हुई थी।
दो महीने तक लगा रहा था कर्फ्यू
29 मार्च 1978 से 20 मई 1978 तक कर्फ्यू लगा रहा। इस दौरान हिंसा, लूटपाट, आगजनी और कई हत्याओं की घटनाएं हुईं। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 169 मुकदमे दर्ज किए गए थे। अफवाहों ने स्थिति को और भड़का दिया, जिसमें मस्जिद तोड़े जाने और लोगों को जलाने की अफवाहें शामिल थीं।
संभल में 14 बार हो चुके हैं दंगे
संभल में आजादी के बाद से 14 बार बड़े सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं। इनमें 1956, 1959, 1966, 1976, 1978 और 1992 के दंगे प्रमुख हैं। 1978 का दंगा सबसे भयावह था, जिसने इलाके में हिंदू समुदाय को पलायन पर मजबूर कर दिया।
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