पात्रा चॉल घोटाला केस में शिवसेना सांसद संजय राउत को जमानत, 3 महीने बाद आएंगे जेल से बाहर

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Atul Tiwari
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पात्रा चॉल घोटाला केस में शिवसेना सांसद संजय राउत को जमानत, 3 महीने बाद आएंगे जेल से बाहर

MUMBAI. शिवसेना से राज्यसभा सांसद संजय राउत को पात्रा चॉल घोटाला एवं मनी लॉन्ड्रिंग केस में पीएमएलए कोर्ट से जमानत मिल गई है। कोर्ट ने 9 नवंबर को उन्हें बेल दे दी। मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत 31 जुलाई को राउत की गिरफ्तारी हुई थी। पात्रा चॉल जमीन घोटाला 1,039 करोड़ रुपए का है। इस घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था। इसके बाद ईडी ने संजय राउत के घर तलाशी में 11.5 लाख रुपए भी जब्त किए थे। ईडी ने कुछ समय पहले इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल की थी।



ईडी का दावा था- मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीधे तौर पर शामिल थे राउत



ईडी ने कुछ समय पहले इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल की थी। जांच एजेंसी के मुताबिक, शिवसेना सांसद संजय राउत पात्रा चॉल से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवीण राउत के जरिए सीधे तौर पर शामिल थे। ईडी का दावा था कि 2006-07 के दौरान संजय राउत ने तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री की अध्यक्षता में पात्रा चॉल के पुनर्विकास को लेकर पूर्व सीएम की अध्यक्षता में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) के अफसरों और अन्य लोगों के साथ कई मीटिंग में शामिल थे।



क्या है मामला?



ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, सोसाइटी और महाराष्ट्र डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) के साथ किए गए समझौते के अनुसार राउत को 672 किराएदारों का पुनर्वास कर सभी के लिए 767 वर्ग फुट के फ्लैट का निर्माण करना था।  इसके लिए MHADA को 111467.82 वर्ग मीटर का एक क्षेत्र दिया गया था। बदले में जमीन पर मुफ्त बिक्री घटक विकसित करने और थर्ड पार्टी के खरीदारों को फ्लैट बेचने का हकदार था। हालांकि, गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने अपना दायित्व पूरा करने से पहले एफएसआई को बेच दिया। FSI को GACPL (गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड) द्वारा थर्ड पार्टी डेवलपर्स को 1034 करोड़ रुपए में बेचा गया था।



'संपत्तियों के खरीदने-बेचने की प्रक्रिया में शमिल थे राउत'



चार्जशीट के मुताबिक जांच में यह भी पता चला कि संजय राउत के प्रॉक्सी प्रवीण राउत को एचडीआईएल से उनके बैंक खाते में 112 करोड़ मिले, जिसे बाद में प्रॉपर्टी खरीदने, व्यावसायिक इकाई, परिवार के सदस्यों आदि के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। इस प्रकार, संजय राउत अवैध तरीके से आय प्राप्त करने और संपत्ति के अधिग्रहण के लिए हस्तांतरण और अन्य संस्थाओं को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया में शामिल थे।


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