जयपुर. मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (SatyaPal Malik) का एक बयान इन दिनों सुर्खियों में है। जिसमें वह 300 करोड़ की घूस के ऑफर (Bribe Offer) की बात कर रहे हैं। मलिक ने पांच दिन पहले राजस्थान के झुंझनुं (Jhunjhunu) में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि जब वे जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के राज्यपाल (Governer) थे तब उन्हें 300 करोड़ रुपए की रिश्वत देने की पेशकश की गई थी। यह पेशकश 'अंबानी' और 'आरएसएस (RSS) से संबद्ध व्यक्ति' की दो फाइलों को मंजूरी देने के एवज में दी जाना थी, लेकिन उन्होंने यह डील निरस्त कर दी।
दो फाइल के लिए 150-150 करोड़
मलिक ने कहा कि 'एक अंबानी की फाइल थी और दूसरी आरएसएस से जुड़े एक शख्स की थी जो पिछली महबूबा मुफ्ती और बीजेपी की गठबंधन सरकार में मंत्री थे। वह पीएम मोदी के भी बेहद करीबी थे। मुझे सचिवों ने सूचना दी कि इसमें घोटाला है और फिर मैंने बारी-बारी से दोनों डील रद्द कर दी। सचिवों ने मुझसे कहा कि दोनों फाइलों के लिए 150-150 करोड़ रुपये दिये जाएंगे। लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पांच कुर्ता-पायजामे के साथ आया हूं और सिर्फ उसी के साथ यहां से चला जाऊंगा।'
पीएम से कहा- पद छोड़ दूंगा लेकिन भ्रष्टाचार नहीं करूंगा
मलिक ने आरोप लगाया कि देश में कश्मीर सबसे भ्रष्ट स्थान है। पूरे देश में चार से पांच फीसदी कमीशन मांगा जाता है, लेकिन कश्मीर में 15 फीसदी की मांग की जाती है। उन्होंने कहा कि उनके रहते हुए कश्मीर में भ्रष्टाचार को कोई बड़ा केस सामने नहीं आया। मलिक ने बताया कि उन्होंने पीएम से सीधे कहा कि पद छोड़ने को तैयार हूं, लेकिन इन फाइलों को मंजूरी नहीं दूंगा। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की प्रशंसा करते हुए कहा कि उस वक्त पीएम ने उनसे कहा था कि वह भ्रष्टाचार से कोई समझौता ना करें।
गौरतलब है कि मलिक बीजेपी (BJP) के नेता रहे हैं। 2014 में मोदी सरकार के आने बाद उन्हें पहले बिहार का राज्यपाल बनाया गया, फिर वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने, इसके बाद गोवा और फिर मेघालय के।