New Delhi. ईडी चीफ संजय कुमार मिश्रा को तीसरा एक्सटेंशन देने का आदेश रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस, टीएमसी और आम आदमी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को बड़ी जीत बताते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है तो वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी मनाने वाले भ्रमित हैं। ऐसे में सियासी बयानबाजी के बीच यह समझने की कोशिश करते हैं कि क्या सुप्रीम कोर्ट का फैसला वाकई विपक्ष की जीत और केंद्र को झटका है?
Those rejoicing over the Hon'ble SC decision on the ED case are delusional for various reasons:
The amendments to the CVC Act, which were duly passed by the Parliament, have been upheld.
Powers of the ED to strike at those who are corrupt and on the wrong side of the law…
— Amit Shah (@AmitShah) July 11, 2023
क्या है ईडी चीफ का पूरा मामला?
- 2018 : केंद्र सरकार ने नवंबर में संजय मिश्रा को दो साल के लिए ED का डायरेक्टर नियुक्त किया था।
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2021 : केंद्र ने अध्यादेश लाकर बढ़ाया कार्यकाल
केंद्र सरकार नवंबर 2021 में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) अधिनियम के साथ-साथ दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (डीएसपीई) अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश लाई थी, जिसके तहत सीबीआई और ईडी चीफ को पांच साल तक का एक्सटेंशन दिया जा सकता है। बाद में यह संसद में भी पारित हो गया। केंद्र सरकार ने 17 नवंबर 2022 को संजय मिश्रा का कार्यकाल 18 नवंबर 2023 तक बढ़ाने का आदेश जारी किया।
केंद्र के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस और टीएमसी
केंद्र के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में फिर चुनौती दी गई। कांग्रेस नेता जया ठाकुर, रणदीप सुरजेवाला, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, साकेत गोखले ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार पर ईडी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। याचिका में कहा गया था कि ईडी का उपयोग राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ किया जा रहा है। याचिका में सीवीसी अधिनियम संसोधन को भी चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या संजय मिश्रा इतने जरूरी हैं, सरकार ने कहा- देश हित में जरूरी हैं
इन याचिकाओं पर जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की संयुक्त बेंच ने सुनवाई की है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या संजय मिश्रा इतने जरूरी हैं कि सुप्रीम कोर्ट के मना करने के बावजूद उनका कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है। इस पर केंद्र की ओर से कहा गया था कि संजय मिश्रा मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े कुछ अहम मामलों में जांच की निगरानी कर रहे हैं। डायरेक्टर पद पर उनका बना रहना देश हित में जरूरी है। साथ ही FATF की समीक्षा हो रही है। ऐसे में उनका पद पर रहना काफी जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट का 103 पेज का फैसला : मिश्रा के एक्सटेंशन को बताया अवैध
सुप्रीम कोर्ट ने संजय मिश्रा के एक्सटेंशन को अवैध ठहराया। 103 पेज के अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि केंद्र के आदेश उसके 2021 के फैसले में आदेश का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया था कि संजय मिश्रा को अब सेवा विस्तार न दिया जाए। मालूम हो, बतौर ईडी चीफ संजय मिश्रा का कार्यकाल 18 नवंबर 2023 को खत्म होना था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते 110 दिन पहले ही उनका कार्यकाल खत्म हो जाएगा।
पीठ ने केंद्र के सेवा विस्तार कानून को वैध बताया
सुप्रीम कोर्ट का संजय मिश्रा को हटाने का आदेश भले ही केंद्र सरकार के लिए झटका माना जा रहा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को राहत देते हुए सेवा विस्तार के नियम वाले कानून में संशोधन को सही माना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी और सीबीआई प्रमुख को दो साल के तय कार्यकाल के बाद भी एक-एक वर्ष के लिए तीन सेवा विस्तार देने का कानून वैध है। इसके साथ ही कोर्ट ने कांग्रेस और टीएमसी समेत याचिकाकर्ताओं की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने केंद्र के अध्यादेश को चुनौती दी थी।
विपक्ष ने फैसले को बताया जीत
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'मेरे द्वारा दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार द्वारा ED डायरेक्टर को लगातार दिए गए सेवा विस्तार को पूरी तरह अवैध ठहराया है। दरअसल, विपक्ष के जरिए लगातार उठती जनता की आवाज को दबाने, राज्यों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने, और विपक्ष के नेताओं को डरा धमकाकर अपनी पार्टी में शामिल कराने के लिए... मोदी सरकार जांच एजेंसियों को कैसे बीजेपी के फ्रंटल इकाई की तरह इस्तेमाल करती आ रही है, ये पूरा देश देख रहा है !''
सरकार दिनदहाड़े लोकतंत्र का गला घोंटने में जुटी
सुरजेवाला ने कहा, आज सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले ने भी फिर से साबित किया है कि मोदी सरकार संविधान और कानून को ताक पर रखकर, दिनदहाड़े लोकतंत्र का गला घोंटने में जुटी है। मेरे विचार में माननीय सुप्रीम कोर्ट को ईडी व सीबीआई डायरेक्टर के एक्सटेंशन के कानून की वैधता को सही ठहराने वाले निर्णय पर भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। कांग्रेस नेता अजय कुमार ने कहा, ईडी का इस्तेमाल सरकार बनाने के लिए हो रहा है हर जगह सरकार बनानी हो तो सीबीआई और एजेंसियों का इस्तेमाल हो रहा है। कोर्ट ने जो कहा वह महत्वपूर्ण हो जाता है। संविधान को दरकिनार करके सरकार अपनी मनमानी कर रही है।
टीएमसी सांसद बोले- बीजेपी हम आपसे चुनाव में लड़ेंगे
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा, ईडी निदेशक के विस्तार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मेरी याचिका पर जीत। एक्सटेंशन को अवैध ठहराने के फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद। बीजेपी हम आपसे चुनाव में लड़ेंगे, हम आपसे अदालत में लड़ेंगे। हम मैदानों और सड़कों पर लड़ेंगे, हम कभी आत्मसमर्पण नहीं करेंगे।
आप ने उठाई मांग: मिश्रा के कार्यकाल के 'काम' की हो जांच
वहीं आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सवाल उठाता है कि एक्सटेंशन क्यों दिया गया। इतना ही नहीं AAP पार्टी ने तो यह भी मांग उठाई कि मिश्रा के कार्यकाल में जो 'काम' हुए उनकी जांच की जाए।
विपक्ष को अमित शाह का जवाब : खुशी मनाने वाले भ्रमित...
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विपक्ष की बयानबाजी पर अमित शाह ने ट्वीट के माध्यम से जवाब दिया है। उन्होंने कहा, 'ईडी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी मनाने वाले लोग अलग-अलग वजहों से भ्रमित हैं। CVC एक्ट में जो बदलाव संसद में पास हुए थे उनको सही ठहराया गया है। भ्रष्ट लोगों के खिलाफ ईडी को एक्शन लेने की जो शक्तियां कानून के तहत मिली हुई हैं, वे वैसी ही रहने वाली हैं।' शाह ने कहा कि ईडी एक संस्था है जो किसी भी व्यक्ति विशेष से ऊपर है। उसका पूरा ध्यान अपने मूल उद्देश्य को पाने में लगा है, जो कि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच करना है। गृह मंत्री ने कहा, 'ऐसे में ईडी का डायरेक्टर कौन है यह जरूरी नहीं है, क्योंकि जो भी व्यक्ति इस पद पर बैठेगा वह विकास विरोधी मानसिकता रखने वाले एक आरामदायक क्लब के बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार पर ध्यान देगा।'