बुलडोजर एक्शन पर SC का रिएक्शन, जानें पांच प्रमुख गाइडलाइंस

सुप्रीम कोर्ट ने Bulldozer न्याय पर कड़ी टिप्पणी की है। जिसमें स्पष्ट किया कि केवल आपराधिक आरोपों के आधार पर संपत्तियों को ध्वस्त करना असंवैधानिक है। यह निर्णय कानून के शासन और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

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Sandeep Kumar
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SC reaction on bulldozer
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देशभर में बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस जारी की है। Justice BR Gavai और Justice KV Viswanathan की बेंच ने कहा है कि घर सबका सपना होता है। अगर घर गिराया जाता है तो अधिकारी को साबित करना होगा कि यही आखिरी रास्ता था। अफसर खुद जज नहीं बन सकते। घर बरसों का संघर्ष होता है सम्मान की निशानी होती है। 

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घर गिराने से पहले मिले 15 दिन का समय

कोर्ट ने कहा कि अगर घर गिराने का फैसला ले लिया गया है तो 15 दिन का समय दिया जाए। घर गिराने की कार्रवाई की Videography जरूरी है। अगर कोई अफसर Guideline का उल्लंघन करता है तो वो अपने खर्च पर दोबारा प्रॉपर्टी का निर्माण कराएगा साथ ही मुआवजा भी देगा।

अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने Bulldozer न्याय पर कड़ी टिप्पणी की है। जिसमें स्पष्ट किया कि केवल आपराधिक आरोपों के आधार पर संपत्तियों को ध्वस्त करना असंवैधानिक है। यह निर्णय कानून के शासन और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने आज बुलडोजर न्याय के खिलाफ महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा कि केवल आपराधिक आरोपों या दोषसिद्धि के आधार पर किसी की संपत्ति को ध्वस्त करना असंवैधानिक है। अदालत ने इस प्रकार की कार्यवाही को कानून के शासन और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन बताया। 

पांच हिस्सों में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस...

1. नोटिस...

  • नोटिस इमारत पर सही जगह चिपकाना होगा। मालिक को एडवांस नोटिस दिए बिना कोई भी इमारत नहीं गिराई जाएगी।
  • तीन महीने में Digital portal बनाएं, जहां ऐसे नोटिस की डिटेल्स और इमारत पर चिपकाए जाने की तारीख बताई जाए।
  • इसमें इमारत गिराने की वजह और इस पर सुनवाई की तारीख जरूर देनी होगी। शो कॉज नोटिस 15 दिन पहले देना होगा।
  • नोटिस जारी किए जाने के तुरंत बाद एक ऑटो जेनेरेटेड ई-मेल कलेक्टर और डिस्ट्रिक्टर मजिस्ट्रेट को भेजा जाए ताकि बैंक डेटिंग को रोका जा सके।

2. व्यक्तिगत सुनवाई...

  • सुनवाई की तारीख देनी होगी। इस सुनवाई के दौरान इमारत के मालिक के बयानों को रिकॉर्ड किया जाए।

3. आदेश में क्या है जरूरी...

  • आदेश जारी होने के बाद 15 मिनट तक इसे लागू नहीं किया जाएगा ताकि मालिक को अवैध निर्माण हटाने का वक्त मिल सके।
  • आदेश में यह बताना जरूरी है कि इमारत या निर्माण गिराए जाने का कदम जरूरी क्यों है। यह भी बताएं कि क्या इमारत ढहाना ही आखिरी रास्ता है या फिर एक हिस्सा भी गिराया जा सकता है।

4. ऐसी रहेगी निर्माण गिराने की प्रक्रिया...

  • वही निर्माण गिराया जाएगा, जो अवैध है और जिसे ढहाया जाना ही एक रास्ता है।
  • जहां मकान ढहाया जा रहा है, उसकी एक डिटेल्ड स्पॉट रिपोर्ट बनाई जाए। इस कार्रवाई की वीडियोग्राफी हो, जिसमें पुलिस और अधिकारी भी शामिल रहें।
  • डिटेल्ड स्पॉट रिपोर्ट को डिजिटल पोर्टल पर दिखाना जरूरी है।

5. गाइडलाइन तोड़ने पर जिम्मेदार एक्शन हो...

  • गाइडलाइन तोड़ने पर कोर्ट की अवमानना का केस चलेगा या अन्य कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
  • संबंधित अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। उसे गिराई गई इमारत का दोबारा निर्माण कराना होगा।

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने लगाई थी याचिका

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में लगातार बुलडोजर एक्शन के बाद जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ( Jamiat-Ulema-e-Hind ) ने Supreme Court में याचिका लगाई थी। आरोप लगाया था कि BJP शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर ( Bulldozer ) एक्शन लिया जा रहा है। केंद्र सरकार ने दलील दी थी।

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