NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट ने बिना आईडी प्रूफ के 2,000 रुपए के नोट बदलने की अनुमति देने की याचिका को खारिज कर दिया है। दरअसल, कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच ने कहा- यह ऐसा मामला नहीं जिसे तुरंत सुनना जरूरी हो। याचिकाकर्ता गर्मी की छुट्टी के बाद चीफ जस्टिस से सुनवाई का अनुरोध करे। आपको बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
Supreme Court declines urgent hearing of an appeal against the Delhi High Court order which dismissed a plea challenging RBI’s decision permitting citizens to exchange Rs 2000 banknotes, which are being pulled out of circulation, without any requisition slip and ID proof. pic.twitter.com/krzeDblP24
— ANI (@ANI) June 1, 2023
19 मई को नोट वापसी की हुई थी घोषणा
RBI ने 19 मई को 2000 रुपए का नोट वापस लेने की घोषणा की थी। इसके साथ ही 23 मई 2023 से 30 सितंबर 2023 तक नोट को बैंकों में जमा करने या अन्य नोट से बदलने की सुविधा दी थी। साथ ही RBI ने अधिसूचना में कहा था कि इस दौरान 2000 रुपए का नोट लेनदेन के लिए वैध रहेगा। वहीं, SBI ने ग्राहकों की सुविधा का ध्यान रखते हुए बिना किसी पहचान प्रमाण, मांग पर्ची या फॉर्म भरे नोट बदलने की सुविधा देने की अनुमति बैंक शाखाओं को दी थी।
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याचिका पर SC ने क्या कहा?
अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधांशु धूलिया और केवी विश्वनाथन की अवकाशकालीन बेंच ने कहा, अदालत छुट्टी के दौरान इस तरह के मामलों को नहीं ले रही हैं और आप हमेशा चीफ (भारत के मुख्य न्यायाधीश) के सामने इसका उल्लेख कर सकते हैं। व्यक्तिगत रूप से पेश हुए उपाध्याय ने कहा, सभी किडनैपर, गैंगस्टर, ड्रग तस्कर अपने पैसे को बदल रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक सप्ताह में 50,000 करोड़ रुपए के नोट बदले गए हैं। उन्होंने अदालत से इस मामले में तत्काल सुनवाई करने का आग्रह किया। इसके बाद पीठ ने दोहराया कि वह CJI के समक्ष मामले का उल्लेख कर सकते हैं।
ये है मामला
19 मई को, RBI ने घोषणा की कि वह 'मुद्रा प्रबंधन अभ्यास' के रूप में 2,000 रुपए के मूल्यवर्ग के नोट को चलन से बाहर कर रहा है। RBI ने नागरिकों को इन नोटों को अन्य मूल्यवर्ग के नोटों से बदलने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया है। इसके बाद 20 मई को SBI ने भी अपने लोकल प्रधान कार्यालयों को निर्देश दिया था कि 20 हजार तक 2,000 रुपए का नोट बदलवाने के लिए किसी ID प्रूफ की जरूरत नहीं होगी।
अधिवक्ताओं का तर्क
RBI और SBI की अधिसूचनाओं पर रोक लगाने की मांग करते हुए, अधिवक्ता ने कहा कि यह अवैध धन को वैध बनाने का अवसर देता है और इसलिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, बेनामी लेनदेन अधिनियम, मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम, लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, सीवीसी अधिनियम, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम और काला धन अधिनियम के उद्देश्यों के खिलाफ है।