पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सीएम ममता बनर्जी को बड़ा झटका दिया है। SC ने सरकारी स्कूलों में 25,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। अदालत ने भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह दूषित करार देते हुए इसे अमान्य घोषित कर दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जिन लोगों को पहले ही वेतन मिल चुका है, उन्हें उसे वापस करने की आवश्यकता नहीं होगी।
भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई, जिससे पूरी प्रक्रिया अवैध हो गई है। अदालत ने इस फैसले के साथ ही सरकार को निर्देश दिया कि वह तीन महीने के भीतर एक नई और निष्पक्ष चयन प्रक्रिया पूरी करे। इसके अलावा, जो उम्मीदवार भर्ती प्रक्रिया में पूरी तरह से निर्दोष पाए जाएंगे, उन्हें नए चयन में छूट मिल सकती है।
8 अप्रैल को होगी CBI जांच पर अलग सुनवाई
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 8 अप्रैल को एक और अहम सुनवाई करेगा। अदालत उस विशेष अनुमति याचिका पर विचार करेगी, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती दी है।राज्य सरकार ने 25,753 शिक्षकों और स्कूल कर्मचारियों की भर्ती रद्द करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके अलावा, अदालत में इस मुद्दे से जुड़ी कुल 123 अन्य याचिकाओं पर भी सुनवाई हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली रोक हटाई
पिछले साल 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी, लेकिन सीबीआई को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि सिर्फ उन्हीं लोगों की नौकरी रद्द की जाए, जिनकी भर्ती में भ्रष्टाचार पाया गया है।
जनता का विश्वास बनाए रखना जरूरी– SC
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि लगभग 7,000-8,000 लोगों ने गलत तरीके से नौकरी हासिल की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट को यह आंकड़े पर्याप्त नहीं लगे। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने टिप्पणी की कि सरकार को नियुक्ति से जुड़ा डिजिटल रिकॉर्ड बनाए रखना चाहिए था।
अदालत ने यह भी कहा कि यह गड़बड़ी एक सुनियोजित तरीके से हुई थी। सरकारी नौकरियां सीमित होती हैं और लोग इन्हें पाने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं। अगर जनता का विश्वास इस प्रणाली से उठ गया, तो प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
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