सुप्रीम कोर्ट के जजों ने ट्रांसपेरेंसी बनाए रखने के लिए अपनी संपत्ति सार्वजनिक करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के सभी 34 जजों ने अपनी संपत्ति का खुलासा करने का निर्णय लिया है। यह जानकारी SC की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। बता दें यह फैसला जजों ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज के घर से कैश मिलने के बाद लिया है।जस्टिस खन्ना ने कहा है कि जजों की संपत्ति की घोषणा सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी, जिससे पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बढ़ावा मिलेगा।
CJI की मौजूदगी में हुआ फैसला
SC के जजों ने यह निर्णय 1 अप्रैल को हुई फुल कोर्ट मीटिंग में लिया गया, जिसमें मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता में चर्चा हुई। CJI ने इस दौरान कहा कि सभी जजों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना चाहिए
वेबसाइट पर सार्वजनिक होगा डेटा
सुप्रीम कोर्ट के 34 जजों में से 30 ने पहले ही अपनी संपत्ति का विवरण सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया है। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक की जाएगी, हालांकि यह प्रक्रिया स्वैच्छिक होगी।यह निर्णय दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने के विवाद के बाद लिया गया। 14 मार्च को उनके सरकारी बंगले में आग लगने के बाद दमकल विभाग को अधजले नोट मिले थे।
पहले भी हुई ऐसी पहल
7 मई, 1997 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे एस वर्मा की अध्यक्षता में एक बैठक में प्रस्ताव अपनाया गया था, जिसमें कहा गया था कि प्रत्येक न्यायाधीश को अपनी संपत्ति की घोषणा मुख्य न्यायाधीश को करनी चाहिए। इसके बाद, 28 अगस्त, 2009 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि सभी न्यायाधीश अपनी संपत्ति सार्वजनिक करने के लिए सहमत हैं। हालांकि तब यह जानकारी SC की वेबसाइट पर अपलोड नहीं की गई थी। अब जस्टिस सीजेआई संजीव खन्ना ने एक बार फिर सभी जजों को यह फैसला याद दिलाया और अब सर्वसम्मति से सभी जजों ने संपत्ति सार्वजनिक करना तय किया है।
जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में जांच जारी
दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने यह फैसला लिया। इसके अलावा, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया गया है कि जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक जिम्मेदारी न सौंपी जाए। इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की एक तीन-सदस्यीय आंतरिक समिति गठित की गई है।
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