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सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण पर रोक लगाने के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि प्रशासनिक देरी, समय बीतना या पैसों का निवेश के आधार पर किसी भी अवैध निर्माण को वैध नहीं माना जा सकता। निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्थानीय निकायों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट के कड़े दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण को नियंत्रित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए हैं। मेरठ के शास्त्री नगर में एक भूखंड पर अवैध निर्माण के मामले में फैसला सुनाते हुए, कोर्ट ने साफ कर दिया कि नियमों के उल्लंघन पर संशोधनात्मक कार्रवाई अनिवार्य है। कोर्ट ने स्थानीय निकायों और प्रशासन के लिए निम्नलिखित निर्देश जारी किए है कि निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता भवन योजना का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। निर्माण के दौरान समय-समय पर निरीक्षण किया जाए और किसी भी उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई की जाए। पूर्णता प्रमाण पत्र अनिवार्य बिना पूर्णता प्रमाण पत्र के किसी भी इमारत में कब्जा (Possession) देने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बैंकों के लिए निर्देश बैंक और वित्तीय संस्थान केवल निर्माण पूरा होने के बाद ही ऋण (Loan) जारी करें और पूर्णता प्रमाण पत्र की पुष्टि के बाद ही फंड रिलीज करें। स्थानीय अधिकारियों की जवाबदेही नियमों की अनदेखी करने वाले स्थानीय निकायों और अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
मेरठ के अवैध निर्माण के मामले में SC का बड़ा फैसला
मेरठ के शास्त्री नगर के एक भूखंड पर अवैध निर्माण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2014 के आदेश को बरकरार रखा। कोर्ट ने आदेश दिया कि अवैध निर्माण ढहाया जाए । यह मामला राजेंद्र कुमार बड़जात्या द्वारा दायर याचिका पर आधारित था, जिसमें उन्होंने अवैध निर्माण को चुनौती दी थी। इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख स्थानीय निकायों की लापरवाही पर सवाल उठाता है और अवैध निर्माण के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी को दर्शाता है।
अवैध निर्माण पर खतरों पर SC की राय
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 36-पेज के फैसले में अवैध निर्माण के खतरों और इसके नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला। कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण केवल शहरी नियोजन कानूनों का उल्लंघन नहीं है, बल्कि यह आसपास के निवासियों की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है। जीवन के लिए खतरा अवैध निर्माण बिजली, पानी और भूजल संसाधनों पर दबाव डालते हैं और आसपास के निवासियों की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। शहरी विकास की बाधा अवैध निर्माण व्यवस्थित शहरी विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं और शहर की मूलभूत संरचना को नुकसान पहुंचाते हैं। नियम उल्लंघन पर कार्रवाई कोर्ट ने कहा कि नियमों का सख्ती से पालन कराना आवश्यक है और यह स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है कि वे निर्माण प्रक्रिया की निगरानी करें और किसी भी उल्लंघन पर कार्रवाई करें।
अवैध निर्माण रोकने के लिए SC के सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण रोकने के लिए प्रारंभिक चरण में ही कार्रवाई करनी होगी। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं। स्वीकृत भवन योजना का प्रदर्शन निर्माण स्थल पर स्वीकृत भवन योजना का प्रदर्शन किया जाए, ताकि आम नागरिक भी यह जान सकें कि निर्माण वैध है या नहीं। स्थानीय निकाय की जिम्मेदारी निर्माण के दौरान स्थानीय निकायों को समय-समय पर निरीक्षण करना होगा। अगर कोई उल्लंघन होता है, तो पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा।
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