NEW DELHI. SEBI के नाराज और असंतुष्ट कर्मचारियों ने गुरुवार को मुंबई स्थित सेबी मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने सेबी द्वारा जारी प्रेस बयान में उन्हें बाहरी तत्वों से गुमराह बताए जाने पर जमकर नाराजगी जताई। करीब दो घंटे तक चले विरोध प्रदर्शन में सैंकड़ो 200 कर्मचारियों शामिल हुए। सभी ने बयान पर आपत्ति जताते हुए प्रेस विज्ञप्ति को तुरंत वापस लेने और कर्मचारियों के खिलाफ झूठ फैलाने के लिए सेबी चीफ माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की भी मांग की।
टॉक्सिक वर्क कल्चर का लगाया था आरोप
दरअसल, सेबी (Securities and Exchange Board of India) के कर्मचारियों ने सरकार को लेटर लिखकर मार्केट रेगुलेटर के कार्यालयों में ‘टॉक्सिक वर्क कल्चर’ पर चिंता जताई थी। इस पर सेबी ने अनप्रोफेशनल वर्क कल्चर होने के दावों को गलत ठहराया था। और सेबी ने अपने कर्मचारियों के आवास किराया भत्ते (HRA) से जुड़े मुद्दों को लेकर कहा था कि कर्मचारियों को बाहरी तत्वों द्वारा गुमराह किया जा रहा है ताकि सेबी और उसके नेतृत्व की विश्वसनीयता को टारगेट किया जा सके।
वित्त मंत्रालय से की थी शिकायत
रिपोर्ट के अनुसार सेबी अधिकारियों ने पिछले महीने वित्त मंत्रालय को शिकायत कर मार्केट रेगुलेटर की लीडरशिप पर 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। 6 अगस्त को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि सेबी की मीटिंग में चिल्लाना, डांटना और सभी के सामने अपमानित करना आम बात हो गई है। जिसके चलते काम का वातावरण तनावपूर्ण और टॉक्सिक है। यह लेटर ऐसे वक्त सामने आया जब सेबी चीफ माधबी पुरी बुच चौतरफा घिरीं हुई हैं। उन पर अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच को लेकर हितों के टकराव का आरोप है।
आरोपों पर सेबी की प्रतिक्रिया
सेबी ने अपने बयान में कहा कि ये दावे उच्च किराया भत्ते की मांग और प्राप्त लक्ष्यों की गलत रिपोर्टिंग और निर्णय लेने में देरी को रोकने के प्रयासों से पैदा हुए हैं। सेबी ने कर्मचारियों को बाहरी तत्वों द्वारा गुमराह किया जा रहा है। ऐसा विश्वसनीयता को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। सेबी ने कहा कि जूनियर अधिकारियों को उनके समूह से बाहर के तत्वों से मैसेज मिल रहे हैं, जो उन्हें उकसा रहे हैं।
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