भोपाल. भारत को डायबिटीज का की कैपिटल कहा जाने लगा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च- इंडिया डायबिटीज ( ICMR - INDIAB ) ने इस संबंध में एक स्टडी की है। इसकी रिपोर्ट में भी यह बात निकल कर आई है कि भारत में डायबिटीज मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। मधुमेह के साथ ही मोटापा भी एक बड़ी चिंता बनता जा रहा है। ऐसे में एक डेनमार्क की एक कंपनी की दवा को मधुमेह के लिए चमत्कारी दवा के रूप में पेश किया जा रहा है, लेकिन इसका मोटापे में चमत्कारी रिजल्ट देखने में सामने आया है।
क्या कहती है स्टडी
स्टडी में कहा गया कि 2019 में भारत में डायबिटीज के 7 करोड़ मरीज थे। अब इस संख्या में 44% का उछाल आया है। शोध में कहा गया कि भारत की 15.3% आबादी ( कम से कम 13.6 करोड़ लोग ) प्री-डायबिटीक हैं। भविष्य में डायबिटीज होने के खतरे को प्री-डायबिटीज कहा जाता है। यह आंकड़ा पूर्व में डायबिटीज को लेकर लगाए गए अनुमानों से काफी अधिक है। इसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है.
अनुमान से ज्यादा निकली संख्या
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अनुमान लगाया था कि भारत में लगभग 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रसित होंगे, जबकि शोध में डायबिटीज मरीजों का असल आंकड़ा 10.1 करोड़ सामने आया है। वहीं, WHO का अनुमान था कि 2.5 करोड़ प्री-डायबिटीज होंगे, लेकिन असल आंकड़ा इससे काफी बड़ा है।
चमत्कारिक दवा होने का दावा
डेनमार्क की कंपनी नोवा नोर्डिस्क ने ओजेंपिक ( ozempic ) को साल 2017 में अमेरिका में लॉन्च किया था। इसके साल 2022 में भारत में लॉन्च किया गया था। इसमें Semaglutide नामक ड्रग है। इसे भारत में मुख्य रूप से मधुमेह के मरीजों को दिया गया। इस दौरान देखा गया कि इसका मोटापे पर भी असर हो रहा है। यही नहीं यह दवा डायबिटीज से ज्यादा ओबेसिटी यानी मोटापे के लिए उपयोग की जा रही है। इंडिया टुडे नामक पत्रिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि मोटापे को कम करने के लिए इसके कारगर परिणाम सामने आ रहे हैं।
एक चिंता यह भी
सेमाग्लूटाइड ( Semaglutide ) वाली दवाओं में ओजेंपिक, मॉन्जारो और विगोवी प्रमुख हैं। इन्हें वजन कम करने के लिए भी दिया जा रहा है। डॉक्टर इसको लेकर चिंता भी जाहिर कर रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि वजन कम करने के लिए इनका बिना सोचे समझे उपयोग करना गंभीर परेशानी का कारण बन सकता है।
ऐसे करती है वजन कम
डॉक्टर्स का कहना है कि जब हम खाना खाते हैं तो शरीर में GLP-1 हॉर्मोन रिलीज होता है। ओजेंपिक और मॉन्जारो इस हॉर्मोन को कॉपी करते हैं। ये दोनों दवाएं स्टमक खाली करने के प्रोसेस को धीमा कर देती हैं और पेट में कोई एक्टिविटी नहीं होती है। पेट बिल्कुल सुस्त पड़ जाता है। इससे खाने से मिलने वाली कैलोरी की गति भी शरीर में धीमी हो जाती है। इसलिए जो लोग ये दवाएं लेते हैं उन्हें भूख नहीं लगती, हमेशा पेट के भरे होने का अहसास होता है। अगर सुबह खाना खा लिया तो हो सकता है कि अगले 18-20 घंटे तक भूख न लगे। जब भूख लगे भी तो मन थोड़ा ही खाने को करे। यही कारण है कि लोगों का तेजी से वजन घटने लगता है।
ये हो सकते हैं गंभीर परिणाम
इन सबका असर शरीर के मेटाबॉलिज्म पर पड़ता है। शॉर्ट टर्म साइड इफेक्टस में मितली आना , डायरिया, उल्टी आना, पेट दर्द और कब्ज शामिल है। वहीं, कुछ लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट भी हैं। जैसे कि पैनक्रियाज में गड़बड़ी, आखों की रोशनी कम होना, ब्लड शुगर घटना, किडनी से जुड़ी बीमारियां, एलर्जी, गॉल ब्लैडर की परेशानी। इनमें सबसे अधिक स्टमक पैरालिसिस का खतरा रहता है।