Mumbai. राकांपा में अजीत पवार गुट के नेता प्रफुल्ल पटेल ने मंगलवार (4 जुलाई) को कहा कि 'शरद पवार हमारे गुरु हैं। हम हमेशा उनका और उनके पद का सम्मान और आदर करेंगे। वह हम सभी के लिए पिता तुल्य हैं। हम उनकी तस्वीर का इस्तेमाल अनादर के लिए नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम उनके प्रति अपनी श्रद्धा दिखा रहे हैं।' उन्होंने जोर देकर कहा, '2022 में जब एकनाथ शिंदे 40 विधायकों को सूरत और गुवाहाटी ले गए थे तो यह निश्चित हो गया था कि एमवीए सरकार गिर जाएगी। परिणामस्वरूप उस समय राकांपा के 51 विधायक स्पष्ट रूप से मानते थे कि हमें सरकार का हिस्सा होना चाहिए। कोई वैचारिक मतभेद नहीं है, क्योंकि अगर हम शिवसेना के साथ जा सकते थे तो हम निश्चित रूप से बीजेपी के साथ भी जा सकते थे।'
अजित गुट के पास कितने विधायकों का समर्थन?
प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया कि उनके गुट के पास 40 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है और इसमें कोई संदेह नहीं है। उन्होंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि राजनीति पारिवारिक रिश्तों के आड़े न आए, मैं पवार परिवार को बहुत शुभकामनाएं देता हूं और मैं खुद को भी पवार परिवार का एक हिस्सा मानता हूं। हम केवल शरद पवार से इसे स्वीकार करने की अपील कर सकते हैं। वह जो सबसे अच्छा समझते हैं, उसके अनुसार निर्णय ले सकते हैं।'
ये खबर भी पढ़िए...
'सिर्फ दो विधायक नहीं जाना चाहते थे बीजेपी संग'
पटेल ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी, लेकिन कोई फैसला नहीं लिया गया था। अब इसे आकार दिया गया है। फैसला एक पार्टी के तौर पर लिया गया है ना कि मेरे या अजित पवार की ओर से लिया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि जयंत पाटिल उन 51 विधायकों में से एक थे, जो चाहते थे कि शरद पवार सरकार में शामिल होने की संभावना तलाश करें। उन्होंने कहा कि केवल अनिल देशमुख और नवाब मलिक चर्चा में शामिल नहीं थे।
मोदी मंत्रिमंडल में प्रफुल्ल पटेल को मिल सकता है मौका
सत्तारूढ़ बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की कई दौर की बैठकों के बाद केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल की अटकलें तेज हो गई हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित भाजपा के रणनीतिकारों से जुड़ी बंद कमरे में कई बैठकें हुई हैं। इसके बाद से मंत्रिपरिषद में फेरबदल की संभावनाओं को बल मिला है। एनसीपी के सीनियर सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल को संभावित दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। पटेल राकांपा प्रमुख शरद पवार के बेहद करीबियों में गिने जाते थे, लेकिन उन्होंने उनका साथ छोड़कर अजित पवार से हाथ मिला लिया।