बीजेपी को मराठा क्षत्रप का साथ मिल सकता है? सावरकर, अडाणी और मोदी की फर्जी डिग्री पर विपक्ष के तेवरों पर पवार की गुगली

author-image
Atul Tiwari
एडिट
New Update
बीजेपी को मराठा क्षत्रप का साथ मिल सकता है? सावरकर, अडाणी और मोदी की फर्जी डिग्री पर विपक्ष के तेवरों पर पवार की गुगली

NEW DELHI. लोकसभा चुनाव 2024 में बस एक साल बाकी है। ऐसे में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत विभिन्न विपक्षी पार्टियां ने रणनीति के तहत केंद्र की मोदी सरकार को घेरने में जुट गईं हैं। इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने विपक्ष के मुद्दों पर उलट रुख अपना लिया है। उन्होंने बीते 8 दिन में सावरकर, अडाणी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट, पीएम नरेंद्र मोदी की फर्जी डिग्री मामले पर अपनी राय रखी। ये वही मुद्दे हैं, जिन पर विपक्ष लगातार केंद्र पर निशाना साध रहा था। संसद की कार्यवाही बाधित करने में भी ये मुद्दे हावी रहे। अब शरद पवार के बयान जहां बीजेपी के लिए बड़ी राहत हैं तो विपक्षी तेवरों की हवा निकालने वाले। जानें आखिर शरद पवार ने इन मुद्दों पर क्या कहा और इन बयानों को विपक्ष के लिए क्यों बड़ा झटका माना जा रहा है...



पहले ये जानिए



एनसीपी ने एनडीपीपी नेता और नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के नेतृत्व वाली नवगठित सरकार को समर्थन दिया है। बीजेपी पहले ही एनडीपीपी को समर्थन दे चुकी थी। एनसीपी ने हाल ही में 60 सदस्यीय नगालैंड विधानसभा के लिए हुए चुनावों में 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। एनडीपीपी-बीजेपी सरकार बनने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि एनसीपी राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका में होगी, लेकिन इसका उलट हुआ। 



कांग्रेस के लिए सावरकर और बीजेपी



राहुल गांधी अक्सर विनायक दामोदर सावरकर को लेकर बीजेपी पर निशाना साधते रहे हैं। उन्होंने हाल ही में लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी सावरकर पर बयान दिया था। राहुल से सवाल किया गया कि लोग कहते हैं कि राहुल गांधी माफी मांग लेते तो इस राहुल गांधी क्या सोचते हैं। इस सवाल पर राहुल गांधी ने कहा था कि मेरा नाम सावरकर नहीं है, मेरा नाम गांधी है। गांधी किसी से माफी नहीं मांगता। 



राहुल के इस बयान पर सियासत गरमा गई। बीजेपी ने इस मुद्दे पर राहुल और कांग्रेस पर निशाना साधा। वहीं, उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ने तक की चेतावनी तक दे डाली थी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।



फिर आए पवार



कांग्रेस और उद्धव गुट के बीच बढ़ती दरार को देखते हुए शरद पवार शांतिदूत के रूप में मोर्चा संभाला। उन्होंने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के साथ बैठक की और इस दौरान राहुल को ऐसे बयानों से बचने की नसीहत दी। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने बैठक में कहा कि वे सावरकर का संदर्भ देने से बचेंगे।



पवार की खुले मंच से सावरकर की तारीफ



शरद पवार ने नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था, आज सावरकर कोई राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है, यह पुरानी बात है। हमने सावरकर के बारे में कुछ बातें कही थीं, लेकिन वह व्यक्तिगत नहीं थी। यह हिंदू महासभा के खिलाफ था, लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है। हम देश की आजादी के लिए सावरकर के बलिदान को नजरअंदाज नहीं कर सकते। करीब 32 साल पहले मैंने सावरकर के प्रगतिशील विचारों के बारे में संसद में बात की थी। सावरकर ने रत्नागिरी में एक घर बनवाया और उसके सामने एक छोटा मंदिर भी बनवाया। उन्होंने वाल्मीकि समुदाय के एक व्यक्ति को मंदिर में पूजा करने के लिए नियुक्त किया था। मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही प्रगतिशील बात थी।



कौन थे सावरकर?



विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को हुआ था। सावरकर हिंदू धर्म के कट्टर समर्थक थे, पर वे जाति व्यवस्था के विरोधी थे। यहां तक कि गाय की पूजा को उन्होंने नकार दिया था। उन्होंने गौ-पूजन को अंधविश्वास बताया था। सावरकर को लेकर कई किताबें लिखी गईं, जिनमें देश और आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को लेकर काफी जानकारियां मिलती हैं। इनके मुताबिक, वीर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। वे ना केवल स्वाधीनता संग्राम के एक प्रखर सेनानी थे, बल्कि क्रांतिकारी, चिंतक, लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता और दूरदर्शी राजनेता भी थे। वीर सावरकर को अंग्रेजों ने काला-पानी की सजा सुनाते हुए अंडमान की सेल्युलर जेल भेज दिया था। 10 साल बाद वे जेल से बाहर आ गए। वहीं, दूसरा पक्ष दावा करता है कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी।



पवार की अडाणी मुद्दे पर विपक्ष से अलहदा राय



6 अप्रैल को संसद का बजट सत्र खत्म हुआ। यह पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। सदन में 19 विपक्षी पार्टियों ने अडाणी के मुद्दे पर जेपीसी की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। राहुल गांधी भी लगातार सदन के अंदर और बाहर से इस मुद्दे पर सरकार को घेरते दिखे, लेकिन शरद पवार ने इस मुद्दे पर अलग स्टैंड लिया। 



शरद पवार ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में हिंडनबर्ग रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा, ''इसकी तरफ से पहले भी ऐसी चीजें आई थीं और तब भी सदन में कुछ दिन हंगामा हुआ था, लेकिन इस बार मुद्दे को जरूरत से ज्यादा तवज्जो मिली। उसमें दिए बयान किसने दिए, उसका क्या बैकग्राउंड है, जब वो लोग ऐसे मुद्दे उठाते हैं, जिनसे देश में बवाल खड़ा हो, इसका असर तो हमारी अर्थव्यवस्था पर ही पड़ता है। लगता है कि ये सबकुछ किसी को टारगेट करने के लिए किया गया था।'' पवार ने अडाणी मसले पर JPC की मांग को झटका देते हुए कहा था कि ये निष्पक्ष नहीं होगा, क्योंकि 21 में 15 सदस्य सत्ता पक्ष के होंगे।



पवार के इस बयान पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि एनसीपी का अपना कोई स्टैंड हो सकता है, लेकिन 19 विपक्षी पार्टियां ये मानती हैं कि अडाणी मुद्दा गंभीर है। मैं ये भी साफ करना चाहता हूं कि एनसीपी और दूसरे विपक्षी दल हमारे साथ ही खड़े हैं, सभी साथ मिलकर लोकतंत्र को बचाना चाहते हैं और बीजेपी की बंटवारे वाली राजनीति को हराना चाहते हैं।



क्या है अडानी-हिंडनबर्ग मुद्दा?



अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को गौतम अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप पर मार्केट में हेरफेर और अकाउंट में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई। हालांकि, अडाणी ग्रुप ने आरोपों को निराधार और भ्रामक बताया था। उन्होंने दावा किया कि इस रिपोर्ट में जनता को गुमराह किया गया.



पवार ने मोदी की फर्जी डिग्री की भी हवा निकाल दी



दिल्ली और पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने पीएम मोदी की डिग्री को मुद्दे को लेकर जोर-शोर से उठाया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने लगातार प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल उठाए। पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी तिहाड़ से पत्र लिखकर पीएम मोदी की डिग्री का मुद्दा उठाया था। वहीं, आप ने 'डिग्री दिखाओ कैंपेन' शुरू किया, जिसके तहत पार्टी के नेता हर दिन लोगों के सामने जाकर अपनी शैक्षिक योग्यता साझा करेंगे।



पवार ने साफ कर दिया कि PM की डिग्री राजनीतिक मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, ''क्या आज देश के सामने डिग्री का सवाल है, आपकी डिग्री क्या है, मेरी डिग्री क्या है, क्या ये राजनीतिक मुद्दा है? बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, महंगाई ऐसे कई सवाल हैं और इन मुद्दों पर केंद्र सरकार पर हमला करना चाहिए। आज धर्म जाति के नाम पर लोगों में दूरियां पैदा की जा रही हैं, आज महाराष्ट्र में बेमौसम बरसात की वजह से फसलें बर्बाद हो गईं, इस पर चर्चा जरूरी है।''



एनसीपी नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार भी पीएम की डिग्री को मुद्दे को बेबुनियाद करार दे चुके हैं. अजीत पवार ने कहा था, 'जहां तक ​​राजनीति में शिक्षा का संबंध है, इसे बहुत अहमियत नहीं दी जाती। महाराष्ट्र में 4 ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो वसंतदादा पाटिल की तरह ज्यादा शिक्षित नहीं थे, लेकिन वे प्रशासन में कुशल थे।'



महाराष्ट्र में कितनी पॉवरफुल पवार की पार्टी?



शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से चार पर जीत हासिल की थी। वहीं, 2019 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में एनसीपी तीसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। एनसीपी ने 54 सीटों पर जीत हासिल की थी। शिवसेना के उद्धव और शिंदे गुट में बंटने के बाद एनसीपी राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। 


Sharad Pawar support to BJP शरद पवार न्यूज Sharad Pawar News शरद पवार मोदी की डिग्री शरद पवार सावरकर टिप्पणी शरद पवार अडाणी-हिंडनबर्ग शरद पवार का बीजेपी को सपोर्ट Sharad Pawar Modi's degree Sharad Pawar Savarkar comment Sharad Pawar Adani-Hindenburg
Advertisment