शिपयार्ड कंपनी का 23 हजार करोड़ घोटाला सामने आया, 28 बैंकों को लगाया चूना

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Atul Tiwari
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शिपयार्ड कंपनी का 23 हजार करोड़ घोटाला सामने आया, 28 बैंकों को लगाया चूना

नई दिल्ली. बैंक धोखाधड़ी के मामले में विजय माल्या और नीरव मोदी का नाम ही अब तक टॉप पर था, लेकिन एक और घोटाले ने इन दोनों को पीछे छोड़ दिया है। एबीजी शिपयार्ड कंपनी का करीब 23 हजार करोड़ का बैंक फ्रॉड सामने आया है। विजय माल्या 9 हजार करोड़ और नीरव मोदी 14 हजार करोड़ की धोखाधड़ी के आरोपी हैं। एबीजी शिपयार्ड का घोटाला इन दोनों को मिलाकर है।





28 बैंकों के साथ धोखाधड़ी: सूरत बेस्ड कंपनी एबीजी शिपयार्ड का 22,842 करोड़ का घोटाला सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए कंपनी के पूर्व अध्यक्ष और मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) ऋषि कमलेश अग्रवाल समेत 8 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड ने देश के 28 बैंकों से कारोबार के नाम पर 2012 से 2017 के बीच कुल 28,842 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था।  





इन लोगों पर केस: सीबीआई ने ऋषि कमलेश अग्रवाल के अलावा एबीजी शिपयार्ड के तत्कालीन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर संथानम मुथास्वामी, निदेशकों- अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए केस दर्ज किया। सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, घोटाला करने वाली दो प्रमुख कंपनियां एबीजी शिपयार्ड और एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड हैं। दोनों कंपनियां एक ही ग्रुप की हैं। 





ये है आरोप: कंपनियों पर आरोप है कि बैंक फ्रॉड के जरिए पैसे को विदेश में भेजकर अरबों की प्रॉपर्टी खरीदी गईं। 18 जनवरी 2019 को अर्न्स्ट एंड यंग एलपी द्वारा दाखिल अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 तक की फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट की जांच में सामने आया है कि कंपनी ने गैरकानूनी गतिविधियों के जरिए बैंक से कर्ज में हेर-फेर किया और रकम ठिकाने लगा दी। कंपनी के पूर्व एमडी ऋषि कमलेश अग्रवाल पहले ही देश छोड़कर भाग चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक, वे इस समय सिंगापुर में रह रहा हैं। बैंकों का ये भारी-भरकम लोन अमाउंट जुलाई 2016 में नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) घोषित हो गया था। 





2019 में पहली बार शिकायत: इस धोखाधड़ी की पहली बार शिकायत 2019 में की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, 8 नवंबर 2019 को 28 बैंकों के रिप्रेजेंटिव्ज ने सीबीआई में पहली बार इस बड़े घोटाले को लेकर एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। 2020 में सीबीआई ने इस शिकायत के संबंध में कुछ स्पष्टता मांगी, जिसके बाद अगस्त 2020 में बैकों ने दोबारा संशोधित शिकायत सीबीआई को भेजी। डेढ़ साल तक मामले की जांच करने के बाद आखिरकार सीबीआई ने 7 फरवरी 2022 को एफआईआर दर्ज की। इस मामले में सूरत, मुंबई और पुणे समेत कंपनी के 13 ठिकानों पर छापे मारे, जिसके बाद से सबसे बड़ा घोटाला देश के सामने आया। 





कंपनी का कारोबार: एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड की शुरुआत 1985 में हुई थी। गुजरात के दाहेज और सूरत में एबीजी समूह की यह शिपयार्ड कंपनी पानी के जहाज बनाने और उनकी मरम्मत का काम करती है। अब तक यह कंपनी 165 शिप बना चुकी है। इस कंपनी ने 1991 तक तगड़ा मुनाफा कमाते हुए देश-विदेश से बड़े ऑर्डर हासिल किए। रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में कंपनी को 55 करोड़ डॉलर से ज्यादा का भारी नुकसान हुआ और इसके बाद इसकी हालत पतली होती गई। अपनी वित्तीय हालत का हवाला देते हुए कंपनी ने बैंकों से कर्ज लिया और इस सबसे बड़े घोटाले को अंजाम दिया। एसबीआई ने यह भी बताया कि आखिर क्यों बैंकों के संघ की तरफ से उसने की मामले में केस दर्ज करवाया। दरअसल, आईसीआईसीआई और आईडीबीआई बैंक कंसोर्शियम में पहले और दूसरे टॉप लोन डोनर थे। हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एसबीआई सबसे बड़ा लोन डोनर था। इसलिए यह तय हुआ कि सीबीआई के पास शिकायत दर्ज एसबीआई कराएगा। 



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