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MORBI. गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर को पुल टूटने से 300 से ज्यादा लोग डूब गए थे। हादसे के बाद बचाव अभियान चलाया गया था। पुल टूटने से 135 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे की वजह पता लगाने के लिए एसआईटी गठित की थी। अब एसआईटी की रिपोर्ट आ चुकी है। इसके अनुसार 49 केबल तार में से 22 में जंग लग चुकी थी। पुराने सस्पेंडर्स की नए के साथ वेल्डिंग की गई थी। जांच रिपोर्ट में पता चला कि जंग लगे तार घटना से पहले ही टूट चुके थे। बाकी के 27 तार घटना के समय टूट गए थे।
ये थे आईएएस सहित SIT के सदस्य
बता दें कि IAS अधिकारी राजकुमार बेनीवाल, IPS अधिकारी सुभाष त्रिवेदी, राज्य सड़क और भवन विभाग के सेक्रेटरी, एक मुख्य इंजीनियर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के एक प्रोफेसर SIT के सदस्य थे।
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एग्रीमेंट करते समय बरती गई थी लापरवाही
जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा कंपनी) और मोरबी नगर पालिका के बीच एग्रीमेंट के लिए जनरल बोर्ड की अनुमति जरूरी थी, लेकिन एग्रीमेंट में ओरेवा कंपनी, मुख्य अधिकारी नगरपालिका (सीएमओ), अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के ही सिग्नेचर थे। न तो जनरल बोर्ड की सहमति मांगी गई और न ही मीटिंग में सहमति का मुद्दा उठाया गया। जबकि मोरबी सीएमओ को जनरल बोर्ड की अनुमति और प्रॉपर इंस्पेक्शन के बाद ही एग्रीमेंट होना चाहिए था।
रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे भी हुए
एसआईटी की रिपोर्ट में यह भी पता चला कि मोरबी नगर पालिका मुख्य अधिकारी अध्यक्ष व उपाध्यक्ष ने समझौता के मुद्दे को ठीक से नहीं लिया। बिना सक्षम तकनीकी विशेषज्ञ व परामर्श के किया गया मरम्मत कार्य किया। मरम्मत कार्य शुरू करने से पहले मेन केबल और वर्टिकल सस्पेंडर की जांच नहीं हुई। 49 में से 22 केबल पहले ही काटे जा चुके थे, यह दर्शाता है कि ये तार पुल गिरने से पहले ही टूट गए थे। हादसे में बाकी 27 तार टूट गए। पुराने सस्पेंडर को नए सस्पेंडर से जोड़ा गया। ऑरेवा कंपनी ने एक अक्षम एजेंसी को काम आउटसोर्स किया था।
जयसुख पटेल ने कोर्ट में स्वीकारी थी गलती
बता दें कि पिछले साल मोरबी में पुल टूटने की घटना में आरोपी ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था। पटेल की कंपनी पर पुल के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी थी। पटेल ने मोरबी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) एम जे खान की अदालत के सामने आत्मसमर्पण किया था, जिसने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। अदालत ने कारोबारी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया और इसके बाद उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।