अमेठी के रण में तीसरी बार होगा स्मृति इरानी का राहुल गांधी से सीधा मुकाबला, 2019 में दी थी कांग्रेस को मात

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Chandresh Sharma
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अमेठी के रण में तीसरी बार होगा स्मृति इरानी का राहुल गांधी से सीधा मुकाबला, 2019 में दी थी कांग्रेस को मात

Amethi. अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी समेत सभी दलों ने कमर कस ली है और अब रणनीति बनाने में जुट गए हैं। 2024 के लोकसभा में अमेठी के चुनावी दंगल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी तीसरी बार आमने-सामने होंगे। वाराणसी में शुक्रवार (18 अगस्त) उप्र कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने दावा किया है कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे। इसके साथ ही उन्होंने प्रियंका गांधी से वाराणसी से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया है। राय ने गुरुवार (17 अगस्त) को ही पार्टी अध्यक्ष का पद संभाला है। राय के बयान के बाद अमेठी के पार्टी कार्यकर्ता उत्साहित हो गए हैं। 



अमेठी की राजनीति में नई हलचल 



अजय राय कांग्रेस के वह नेता हैं। जिन्हें पार्टी ने पिछले कुछ वर्षों से अमेठी में लगा रखा है और वह लगातार यहां सक्रिय भी हैं। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी के तुरंत बाद आए बयान ने अमेठी की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। स्थानीय नेता अब रणनीति बनाने में जुट गए हैं। 




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  • 2014 में राहुल ने स्मृति को हराया, 2019 में स्मृति ने राहुल को दी मात



    दोनों की सियासी जंग और भी रोमांचक होने वाली है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी 2004 के लोकसभा चुनाव में पहली बार अमेठी से जीतकर संसद पहुंचे थे। 2014 में पहली बार भाजपा के टिकट पर स्मृति इरानी ने राहुल गांधी को कड़ी टक्कर दी, हालांकि स्मृति को हार मिली और पांच वर्ष बाद 2019 में राहुल गांधी को 50 हजार से अधिक मतों से हराकर स्मृति इरानी दिल्ली पहुंची। आम चुनाव 2024 में अब नौ माह शेष हैं। ऐसे में राजनीतिक सरगर्मी अमेठी में बढ़ गई हैं।



    अमेठी से लगातार तीन बार सांसद रह चुके राहुल



    2004 में राहुल पहली बार सांसद बने। 



    2009 में राहुल सांसद बने।



    2014 में राहुल चुनाव जीते। 



    2014 : पहली बार स्मृति से सामना, 1 लाख 7 हजार वोटों से जीते राहुल 



    लोकसभा चुनाव- 2014 में अहम रहा। पहली बार स्मृति और राहुल आमने-सामने रहे। राहुल गांधी को 4 लाख 8 हजार 651 वोट मिले, जबकि स्मृति ईरानी को 3 लाख 748 वोट मिले। उन्होंने स्मृति को 1 लाख 7 हजार वोटों के अंतर से हराया था।



    2019 : स्मृति ने राहुल को 55 हजार 120 मतों के अंतर से हराया 



    स्मृति ईरानी ने राहुल को 2019 के लोकसभा चुनाव में दूसरी बार चुनौती दी। स्मृति ने राहुल को 55 हजार 120 मतों के अंतर से हराया था। चुनाव में स्मृति को 4 लाख 67 हजार 598 वोट मिले थे, जबकि राहुल गांधी को 4 लाख 12 हजार 867 वोट मिले थे। राहुल मशक्कत के बाद भी अपना गढ़ नहीं बचा पाए। राहुल गांधी को इस हार की पहले से शायद आशंका थी इसलिए उन्होंने केरल की वायनाड सीट से भी नामांकन दाखिल किया था। वहां से राहुल बड़े मतों से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे।



    अब तक अमेठी में दो बार हारा गांधी परिवार 



    अमेठी में अब तक दो बार ही ऐसे मौके आए हैं। जब गांधी परिवार के किसी सदस्य को कांग्रेस के टिकट पर लड़ने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा है। अमेठी में 1977 में संजय गांधी को जनता लहर में हार का सामना करना पड़ा था। यह संजय गांधी पहला चुनाव था। 1984 में राजीव गांधी के मुकाबले संजय विचार मंच से लड़ी मेनका गांधी भी चुनाव नहीं जीत पाई थी। चार साल पहले 2019 में गांधी-नेहरू परिवार की परंपरागत सीट अमेठी को भाजपा की स्मृति इरानी ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हराकर जीत ली थी। 



    प्रदेश अध्यक्ष साफ कर दी तस्वीर, राहुल ही होंगे प्रत्याशी 



    कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंघल के अनुसार, आम चुनाव 2024 में अमेठी सीट से राहुल गांधी ही चुनाव मैदान में होंगे। यह बात आज हमारे प्रदेश अध्यक्ष ने साफ कर दी है। अमेठी हमेशा गांधी-नेहरु परिवार की थी और आगे भी रहेगी। कार्यकर्ता पूरी तरह तैयार हैं।



    राय का स्मृति पर तंज : 13 रुपए में चीनी चीनी कहां गई?



    वाराणसी एयरपोर्ट पर जुटे हजारों लोगों ने राय का स्वागत किया। यहां से निकलते ही अजय राय ने कहा, अमेठी से आए सैकड़ों लोग राहुल गांधी की लोकप्रियता के गवाह हैं। अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी पर तंज कसते हुए राय ने कहा, वह 13 रुपए में चीनी (शकर) दिला रही थीं। अब 13 रुपए वाली चीनी कहां है। राय ने कहा, प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर मेरा पहला लक्ष्य संगठन और लोकसभा चुनाव में पार्टी की शानदार वापसी को सुनिश्चित करना है।



    वाराणसी का गणित : 7 बार कांग्रेस तो 6 बार बीजेपी को मिली जीत



    16 लोकसभा चुनावों का अगर हिसाब लगाया जाए तो वाराणसी सीट से सात बार कांग्रेस और छह बार बीजेपी को जीत मिली है। पहले आम चुनाव में वाराणसी से कांग्रेस के रघुनाथ शर्मा सांसद बने थे। पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी भी वाराणसी से सांसद बन चुके हैं। वाराणसी से 1957 के आम चुनाव में कांग्रेसी नेता रघुनाथ सिंह सांसद चुने गए। 1962 में भी जनता ने रघुनाथ सिंह को ही विजयी बनाया। 1971 में कांग्रेस के राजाराम शास्त्री सांसद बने। 1980 में कमलापति त्रिपाठी वाराणसी सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 1989 में इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल कुमार शास्त्री ने चुनाव जीता। 2004 में राजेश मिश्रा कांग्रेस के अंतिम सांसद हुए इसके बाद लगातार भाजपा चुनाव जीत रही है।


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