नई दिल्ली. पांच राज्यों में करारी हार के बावजूद कांग्रेस की मुश्किलें हल होने का नाम नहीं ले रहीं। अब गुजरात से कांग्रेस खेमे में खतरे की घंटी बजती दिख रही है। इसी साल के अंत में गुजरात में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इस बीच 5 अप्रैल को सोनिया गांधी के खास रहे अहमद पटेल के बेटे फैसल ने ट्वीट करके चौंका दिया।
फैसल ने ट्वीट किया- इंतजार करके, घूम-घूमकर थक गया हूं। आलाकमान से कोई बात नहीं हो पा रही। मेरे विकल्प खुले हुए हैं।
Tired of waiting around. No encouragement from the top brass. Keeping my options open
— Faisal Patel (@mfaisalpatel) April 5, 2022
अटकलें यह भी लगाई जा रही हैं कि फैसल आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। पिछले साल अप्रैल में ही फैसल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी।
सोनिया के सलाहकार थे अहमद
लंबी बीमारी के बाद अहमद पटेल का नवंबर 2020 में निधन हो गया था। पटेल सोनिया गांधी के सबसे करीबी नेताओं में से एक माने जाते थे। वे सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार भी थे। अहमद पटेल ने अपने बेटे फैसल और बेटी मुमताज को राजनीति से दूर रखा था, लेकिन अब उनके बेटे इच्छा जता रहे हैं। वहीं, कुछ दिन पहले फैसल ने कहा था कि उन्हें पता नहीं है कि राजनीति में उन्हें आसानी से प्रवेश मिल पाएगा कि नहीं। मैं पर्दे के पीछे से कांग्रेस के लिए काम करता रहा हूं।
अभी दौरे कर रहे फैसल
फैसल फिलहाल गुजरात के भरूच और नर्मदा जिलों की 7 विधानसभा सीटों के दौरे पर हैं। न्यूज एजेंसी IANS से बात करते हुए फैसल ने कहा- मेरी टीम राजनीतिक स्थिति की वास्तविकता का आकलन करेगी और हमारे मुख्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए जरूरत पड़ने पर बड़े बदलाव करेगी। भगवान की मर्जी से हम सभी 7 सीटें जीतें। मैं फिलहाल राजनीति में नहीं आ रहा और अभी पार्टी में शामिल होने को लेकर निश्चित नहीं हूं। अगर राजनीति में शामिल होता हूं तो चुनावी राजनीति में नहीं आ सकता, लेकिन पार्टी के लिए काम कर सकता हूं। फैसल पार्टी में कब शामिल होंगे, इस पर कहा, यह आलाकमान पर निर्भर करता है।
क्या आलाकमान को परवाह नहीं?
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बावजूद कांग्रेस पटरी पर नहीं आ पा रही। इतना ही नहीं, सोनिया ने चुनाव के बाद पांचों राज्यों (यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा) में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों से इस्तीफा ले लिया था, पर अब तक किसी की नियुक्ति नहीं की गई है। नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के पदों को लेकर पार्टी के अंदर ही विवाद है। सबसे ज्यादा पंजाब की हालत खराब है। यहां नवजोत सिंह सिद्धू, चरणजीत सिंह चन्नी, सुनील जाखड़ और मनीष तिवारी के आपसी टांग खिचाईं वाले बयान थम नहीं रहे। वैसे सोनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस साल हिमाचल प्रदेश और गुजरात में होने वाले चुनाव हैं।
पार्टी से दिग्गज नेता निकले
ज्योतिरादित्य सिंधिया- मार्च 2020 में सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया। सिंधिया अपने साथ मध्य प्रदेश के 22 विधायकों को भी ले गए। सिंधिया के इस कदम से मध्य प्रदेश में 18 महीने की कमलनाथ सरकार गिर गई थी और शिवराज सिंह चौहान की वापसी हो गई।
असम- मौजूदा मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा कभी कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते थे। 2015 में चुनाव के ऐन पहले बीजेपी में आ गए। पार्टी छोड़ने के पीछे उन्होंने राहुल गांधी के बात ना करने को वजह बताया था। 2016 में असम में बीजेपी की सरकार बनी और सरमा कैबिनेट मंत्री बने। 2021 में हुए चुनाव में सरमा को मुख्यमंत्री बनाया गया।
उत्तर प्रदेश- यहां से जून 2021 में जितिन प्रसाद बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। यूपी में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले (25 जनवरी 2022 को) पूर्वांचल के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री रहे आरपीएन सिंह बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी में शामिल होने के बाद सिंह ने कहा था- 32 साल पहले मैं जिस पार्टी (कांग्रेस) में जुड़ा था, आज वो पार्टी नहीं रह गई। मैं उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से आता हूं। यूपी में बीते सालों में कानून व्यवस्था की स्थिति सुदृढ़ हुई है। यूपी में काफी विकास हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देता हूं। ये सब डबल इंजन की सरकार के चलते हुआ है।
कांग्रेस में ही असंतुष्टों का गुट
कांग्रेस की 5 राज्यों में हार के बाद पार्टी का असंतुष्ट खेमा जी-23 गुट एक्टिव है। ये गुट पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर मुखर है। हालांकि, इस गुट में भी फूट पड़ने की खबरें सामने आई थीं। अगस्त 2020 में बने इस गुट में 23 नेता शामिल थे। 5 राज्यों के नतीजों के बाद (मार्च 2022 में) गुलाम नबी आजाद के घर हुई डिनर पार्टी में इस गुट के कुछ चर्चित चेहरे नदारद रहे थे। गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, पीजे कुरियन, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा, मुकुल वासनिक, भूपेंद्र हुड्डा और राजिंदर कौर भट्टल ने ये गुट बनाया था।