गले में तख्ती… ये किन गलतियों पर मिली सुखबीर सिंह बादल को सजा

पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त ने धार्मिक गलतियों के कारण तनखैया घोषित किया। उन्होंने अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी और शुद्धिकरण के बाद समाज में पुनः स्वीकार्यता प्राप्त की।

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Sourabh Bhatnagar
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अकाल तख्त ने हाल ही में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल को 'तनखैया' करार दिया। यह सजा उनके उन धार्मिक गलतियों के लिए दी गई, जो उन्होंने अपने पद पर रहते हुए की थीं। यह निर्णय पांच तख्तों के सिंह साहिबान की बैठक में लिया गया था, जिसमें यह माना गया कि बादल ने अपने कार्यकाल में सिखों के हित में फैसले नहीं लिए। श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने बादल को 15 दिनों के भीतर अकाल तख्त के सामने आकर माफी मांगने की हिदायत दी थी। साथ ही उन मंत्रियों को भी सफाई देनी चाहिए जो 2007 से 2017 तक अकाली सरकार का हिस्सा थे।

तनखैया यानी क्या

तनखैया का मतलब होता है वह व्यक्ति जिसने धार्मिक गलतियां की हों। इसे अकाल तख्त द्वारा तय किया जाता है और इसका पालन सिख समुदाय के लिए अनिवार्य होता है। किसी भी सिख समुदाय से जुड़े व्यक्ति को यदि धार्मिक गलती करने पर यह ठप्पा लग जाए, तो वह समाज से अलग-थलग पड़ जाता है। इस दौरान उसे कोई सामाजिक समारोह, जैसे शादी-ब्याह में भाग लेने की अनुमति नहीं होती, और न ही वह गुरुद्वारे में जा सकता है।

तनखैया की सजा के दौरान व्यक्ति को गुरुद्वारे में सेवा करने का आदेश दिया जाता है, जिसमें सेवा का उद्देश्य उसकी गलती को सुधारना होता है। उसे सेवा के दौरान विशेष ध्यान रखना होता है, जैसे साफ-सफाई और अनुशासन। इसके बाद यदि वह सजा ठीक से पूरी करता है, तो उसकी समाज में पुनः स्वीकार्यता हो जाती है।

सुखबीर सिंह बादल को धार्मिक सजा क्यों दी गई?

पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और उनके साथियों को श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा धार्मिक सजा दी गई। यह सजा उनके द्वारा की गई पांच बड़ी गलतियों के कारण दी गई है। इन सजा के तहत सुखबीर बादल ने सेवादार की पोशाक पहनकर श्री हरमंदिर साहिब के बाहर पहरेदारी की सेवा शुरू की।

क्यों मिली इतनी बड़ी सजा 


1- राम रहीम के खिलाफ मामला वापस लेना

2007 में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम ने सिख परंपराओं का उल्लंघन किया।
मामला दर्ज हुआ, लेकिन बादल सरकार ने इसे वापस ले लिया।

2- डेरा मुखी को माफी दिलवाना

-डेरा मुखी को श्री अकाल तख्त द्वारा निष्कासित किया गया था।
-सुखबीर बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर माफी दिलवाई, जिससे सिख पंथ नाराज हुआ।

3- बरगाड़ी बेअदबी मामला

-2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी हुई। सरकार दोषियों को सजा दिलाने में नाकाम रही।

4- सुमेध सैनी को डीजीपी बनाना

सैनी पर सिख युवाओं के उत्पीड़न का आरोप था। इसके बावजूद उन्हें पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया गया।

5- सिख पंथ के खिलाफ फैसले

पूर्व डीजीपी इजहार आलम की पत्नी को टिकट देना और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाना।

सजा की शर्तें

सुखबीर बादल और सुखदेव सिंह ढींडसा ने सुबह 9-10 बजे तक सेवा दी।
सुखबीर को शौचालय साफ करने की सजा भी दी गई, लेकिन पैर में प्लास्टर होने के कारण उन्हें छूट मिली।
अन्य मंत्री 12 बजे के बाद शौचालय साफ करेंगे।

जुलाई में तनखैया घोषित

जुलाई 2024 में सुखबीर को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार द्वारा तनखैया घोषित कर दिया गया।

पहले भी कइयों को मिल चुकी है सजा

यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई बड़े नेता इस सजा का शिकार हो चुके हैं, जैसे महाराजा रणजीत सिंह, ज्ञानी जैल सिंह, बूटा सिंह, सुरजीत सिंह बरनाला, और कैप्टन अमरिंदर सिंह। इन नेताओं को भी तनखैया करार दिया गया था। अकाल तख्त, जो सिखों की सबसे बड़ी धार्मिक संस्था है, ने हमेशा से इस सजा को महत्वपूर्ण माना है और इसके फैसलों को सभी सिखों के लिए मान्य किया जाता है।

FAQ

सुखबीर सिंह बादल को क्यों तनखैया घोषित किया गया?
सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त ने धार्मिक गलतियों के कारण तनखैया घोषित किया, जिनमें सिख पंथ के हित में फैसले न लेना और अन्य धार्मिक मामले शामिल थे।
तनखैया का क्या मतलब है?
तनखैया वह व्यक्ति होता है जिसने धार्मिक गलतियां की हो, और उसे सिख समुदाय से सामाजिक रूप से अलग कर दिया जाता है, उसे धार्मिक सेवा करने की सजा दी जाती है।
सुखबीर सिंह बादल को कौन सी गलतियों की सजा मिली?
सुखबीर सिंह बादल को राम रहीम के खिलाफ मामला वापस लेने, डेरा मुखी को माफी दिलवाने, और बरगाड़ी बेअदबी मामले में नाकामी जैसी गलतियों के कारण सजा मिली।
तनखैया की सजा का पालन कैसे होता है?
तनखैया को गुरुद्वारे में सेवा करने और अनुशासन बनाए रखने की सजा दी जाती है, ताकि वह अपनी गलती को सुधार सके और समाज में पुनः स्वीकार्यता प्राप्त कर सके।

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