HC के जज राम मनोहर नारायण ने कहा था- ब्रेस्ट पकड़ना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप नहीं, SC ने फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए इसे असंवेदनशील बताया है। कोर्ट ने नाबालिग के साथ हुए यौन उत्पीड़न को लेकर हाईकोर्ट की टिप्पणी पर आपत्ति जताई है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने यह कहा था कि नाबालिग के ब्रेस्ट पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप नहीं माना जाएगा। यह निर्णय उस समय लिया गया जब इस टिप्पणी के खिलाफ विभिन्न कानूनी विशेषज्ञों और नेताओं ने आपत्ति जताई थी।
हाईकोर्ट की टिप्पणी पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और एजे मसीह की बेंच ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई की। बेंच ने कहा, "हाईकोर्ट की टिप्पणी पूरी तरह से असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती है।" सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने कहा था कि नाबालिग लड़की का ब्रेस्ट पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप का मामला नहीं है। यह फैसले के विरोध में तुरंत कानूनी विशेषज्ञों और मानवाधिकार संगठनों द्वारा आलोचना की गई थी। कोर्ट ने मामले में आरोपियों पर 'अटेम्प्ट टू रेप' की धाराएं हटाने का आदेश दिया था।
यह केस क्या था?
कासगंज में एक महिला ने अपनी 14 साल की बेटी के साथ हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। आरोपियों ने लड़की के प्राइवेट पार्ट्स को छुआ और उसके पायजामे की डोरी तोड़ी थी। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई में हाईकोर्ट ने आरोपियों पर गंभीर धाराएं हटा दीं, जिससे यह विवाद पैदा हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तुरंत कदम उठाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए यह कहा कि कोर्ट की टिप्पणी से बुरी मानसिकता को बढ़ावा मिलता है।
पिछला मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्णय पलट चुका है
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला भी पलट दिया था, जिसमें एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया गया था कि बिना त्वचा से त्वचा के संपर्क के यौन उत्पीड़न नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत ठहराया था और कहा था कि किसी बच्चे के यौन अंगों को छूने को यौन हमला माना जाएगा।
HC के जज राम मनोहर नारायण ने कहा था- ब्रेस्ट पकड़ना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप नहीं, SC ने फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए इसे असंवेदनशील बताया है। कोर्ट ने नाबालिग के साथ हुए यौन उत्पीड़न को लेकर हाईकोर्ट की टिप्पणी पर आपत्ति जताई है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने यह कहा था कि नाबालिग के ब्रेस्ट पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप नहीं माना जाएगा। यह निर्णय उस समय लिया गया जब इस टिप्पणी के खिलाफ विभिन्न कानूनी विशेषज्ञों और नेताओं ने आपत्ति जताई थी।
हाईकोर्ट की टिप्पणी पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और एजे मसीह की बेंच ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई की। बेंच ने कहा, "हाईकोर्ट की टिप्पणी पूरी तरह से असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती है।" सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
खबर यह भी...स्तन पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप की कोशिश नहीं, HC का अजीबोगरीब फैसला
जानें, क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला?
यह केस क्या था?
कासगंज में एक महिला ने अपनी 14 साल की बेटी के साथ हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। आरोपियों ने लड़की के प्राइवेट पार्ट्स को छुआ और उसके पायजामे की डोरी तोड़ी थी। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई में हाईकोर्ट ने आरोपियों पर गंभीर धाराएं हटा दीं, जिससे यह विवाद पैदा हुआ।
खबर यह भी...सुप्रीम कोर्ट को मिले एक और जज : जस्टिस जॉयमाल्य बागची बनेंगे 2031 में मुख्य न्यायाधीश
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तुरंत कदम उठाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए यह कहा कि कोर्ट की टिप्पणी से बुरी मानसिकता को बढ़ावा मिलता है।
पिछला मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्णय पलट चुका है
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला भी पलट दिया था, जिसमें एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया गया था कि बिना त्वचा से त्वचा के संपर्क के यौन उत्पीड़न नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत ठहराया था और कहा था कि किसी बच्चे के यौन अंगों को छूने को यौन हमला माना जाएगा।
thesootr links