सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। बता दें कि उत्तर प्रदेश समेत कई बीजेपी शासित राज्यों में आरोपियों के घरों पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई थी। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
जज ने क्या कहा?
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। बीआर गवई ने बुलडोजर कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हम नैरेटिव से प्रभावित नहीं हो रहे हैं। हमने साफ कर दिया है कि हम अवैध निर्माण को संरक्षण देने के पक्ष में नहीं हैं। अधिकारी जज नहीं बन सकते, लेकिन ध्वस्तीकरण प्रक्रिया को कारगर बनाने की जरूरत है।
जस्टिस विश्वनाथन ने भी सख्त लहजे में कहा कि कोर्ट के बाहर क्या बातें हो रही हैं, उसका हम पर कोई असर नहीं पड़ता। हम इस बहस में नहीं पड़ना चाहते कि यह कार्रवाई किसी खास समुदाय को ध्यान में रखकर की जा रही है या नहीं। अगर गैरकानूनी डिमोलिशन का एक भी मसला है तो वो संविधान की भावना के खिलाफ है।
गलत नैरेटिव फैलाया जा रहा : तुषार मेहता
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि जो भी तोड़फोड़ की गई, वह कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई। किसी खास समुदाय को निशाना बनाने का आरोप पूरी तरह से गलत है। इस बारे में गलत नैरेटिव फैलाया जा रहा है।
योगी सरकार को झटका
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाना उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लिए झटका माना जा रहा है। योगी आदित्यनाथ सरकार का बुलडोजर मॉडल देशभर में काफी चर्चित है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर आज कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
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