सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आधार कार्ड का उपयोग उम्र निर्धारित करने के लिए नहीं किया जा सकता। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा सड़क दुर्घटना के मामले में मृतक की उम्र आधार कार्ड के आधार पर तय की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया।
रद्द किया HC का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें एक सड़क दुर्घटना में मृत व्यक्ति की उम्र आधार कार्ड के आधार पर निर्धारित की गई थी। कोर्ट ने कहा कि उम्र निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड का उपयोग करना वैध नहीं है, बल्कि इसके लिए प्रमाणित दस्तावेजों, जैसे कि विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र, को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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यह था मामला
यह फैसला मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (Motor Accident Claims Tribunal, MACT) के मामले में आया, जिसमें 2015 में मारे गए एक व्यक्ति के परिजनों द्वारा मुआवजा दावा किया गया था। MACT ने व्यक्ति की उम्र का निर्धारण उसके विद्यालय प्रमाणपत्र के अनुसार किया था और 19.35 लाख रुपए का मुआवजा दिया था। हाई कोर्ट ने इस राशि को 9.22 लाख रुपए कर दिया था, क्योंकि उन्होंने आधार कार्ड के अनुसार मृतक की उम्र 47 वर्ष मानी थी। परिवार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें उन्होंने यह तर्क दिया कि मृतक की वास्तविक उम्र 45 वर्ष थी।
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने परिवार के तर्कों को स्वीकारते हुए हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के अनुसार, आधार कार्ड का उपयोग केवल पहचान के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में मान्य नहीं है। पीठ ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 94 का हवाला दिया, जिसमें विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र को जन्मतिथि का मान्य प्रमाण माना गया है।
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UIDAI ने क्या कहा
UIDAI ने भी इस संबंध में स्पष्ट किया है कि आधार केवल पहचान का प्रमाण है, और यह जन्मतिथि का आधिकारिक दस्तावेज नहीं है। कोर्ट ने इसे ध्यान में रखते हुए कहा कि सभी कानूनी मामलों में उम्र निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड के स्थान पर अधिक प्रमाणित दस्तावेज, जैसे कि विद्यालय प्रमाणपत्र या अन्य सरकारी दस्तावेजों को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
यह निर्णय विशेष रूप से कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि आधार कार्ड का उपयोग पहचान प्रमाण के रूप में व्यापक रूप से किया जाता है। इस फैसले से कानूनी मामलों में प्रमाणित दस्तावेजों की भूमिका और बढ़ेगी और यह सुनिश्चित होगा कि आधार का दुरुपयोग न हो।
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