IMPHAL. सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा से जुड़े मामलों को असम में स्थानांतरित करने के लिए निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इससे जुड़े आदेश दिए हैं। इसके साथ ही ट्रायल के लिए एक या एक से अधिक स्पेशल जज को नियुक्त करने को भी कहा है। कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा के लिए आरोपियों की पेशी और रिमांड ऑनलाइन की जाएगी। गवाहों सहित पीड़ितों के बयान 164 के तहत लोकल मजिस्ट्रेट के सामने मणिपुर में ही दर्ज होंगे। बता दें कि सीबीआई मणिपुर से जुड़े मामलों की जांच कर रही है।
अलग-अलग क्षेत्रों के CBI अफसर कर रहे जांच
यह आदेश शुक्रवार को सीजेआई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की सलाह से दिया। आरोपियों की पेशी और रिमांड को ऑनलाइन रखने की वजह से इंटरनेट सुविधा पर भी ध्यान दिया जाएगा। कोर्ट ने मणिपुर सरकार को निर्देश दिया है कि सीबीआई मामलों की सुनवाई को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रॉपर इंटरनेट सुविधा प्रदान की जाए। कोर्ट ने पीड़ित, गवाह या आरोपी को कोर्ट में फिजिकल अपियरेंस की भी परमीशन दी है। बता दें कि मणिपुर में हो रहीं हिंसाओं को लेकर सीबीआई के करीबन 53 अफसर जुटे हुए हैं। ये सारे अफसर देश के अलग-अलग ऑफिस से बुलाए गए हैं, जिनमें 29 महिलाएं शामिल हैं।
पीड़ितों के वकीलों ने कोर्ट के फैसले पर जताई आपत्ति
कोर्ट के फैसले से पीड़ितों के वकील नाखुश हैं। जिनमें चंदर उदय सिंह, कॉलिन गोंसाल्वेस, वृंदा ग्रोवर सहित इंदिरा जयसिंह शामिल हैं। कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि मुकदमे आपराधिक जगहों पर ही होने चाहिए। इस तरह से पीड़ितों को असम जाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि राहुल गांधी लद्दाख में हैं तो लद्दाख के बारे में बोले, मणिपुर के बारे में नहीं। उन्होंने कहा कि मणिपुर में ये सब कांग्रेस की वजह से ही हो रहा है।
मणिपुर पुलिस की लोगों को सलाह
इसके साथ ही मणिपुर पुलिस भी सतर्क नजर आ रही है। पुलिस ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि लोग अफवाहों पर विश्वास न करें और सेंट्रल कंट्रोल रूम के नंबर 9233522822 को डायल कर मदद ले सकते हैं।