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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) द्वारा वक्फ कानून के खिलाफ शुरू किए गए विरोध के बीच, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन बिल पर सुनवाई शुरू हो गई। यह सुनवाई CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच द्वारा की जा रही है। सुनवाई में केंद्र सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता प्रस्तुत कर रहे हैं, जबकि कानून के खिलाफ 70 से अधिक याचिकाओं पर कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी और अन्य वरिष्ठ वकील अपनी दलीलें दे रहे हैं।
सिब्बल ने कानून की खामियां उजागर की
कपिल सिब्बल ने वक्फ संशोधन कानून की खामियों को उजागर करते हुए कहा कि यह कानून व्यक्तिगत आस्थाओं में हस्तक्षेप करता है। उन्होंने उदाहरण के रूप में कहा, "अगर मुझे अपनी संपत्ति पर वक्फ करना है, तो मुझे यह साबित करना होगा कि मैं पिछले पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हूं।" इसके बाद, CJI संजीव खन्ना ने कहा कि अदालत के पास सीमित समय है, इसलिए केवल जरूरी मुद्दे ही उठाए जाएं।
संशोधित कानून में सुधार की आवश्यकता
सिब्बल ने यह भी कहा कि संशोधित कानून में वक्फ डीड की आवश्यकता ने पुराने वक्फ संपत्तियों की स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है, क्योंकि यह 300 साल पुरानी संपत्तियों के लिए
भी लागू हो सकता है। इसके अलावा, उन्होंने इस मुद्दे पर भी आपत्ति जताई कि अब हिंदू समुदाय भी वक्फ बोर्ड का हिस्सा बन सकते हैं, जो आर्टिकल 26 (Article 26) का उल्लंघन है।
पुराने स्मारकों की सुरक्षा
CJI खन्ना ने कहा कि पुराने स्मारकों की सुरक्षा के बारे में कानून आपके पक्ष में है और इसमें किसी प्रकार का खतरा नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जामा मस्जिद जैसे महत्वपूर्ण स्मारकों को संरक्षित रखा जाएगा।
सिब्बल की नई आपत्तियां
सिब्बल ने आगे कहा कि सरकार द्वारा वक्फ डीड के विवादों में एक सरकारी अधिकारी द्वारा जांच किए जाने का प्रावधान असंवैधानिक है। उनका कहना था कि यह सरकार के नियंत्रण में एक निष्पक्ष प्रक्रिया को खतरे में डाल सकता है।
आस्था के अभिन्न अंग में हस्तक्षेप
सिब्बल ने इस संशोधित कानून को आस्था के अभिन्न अंग के साथ हस्तक्षेप करने वाला बताया। उनका कहना था कि धार्मिक स्वतंत्रता (Religious Freedom) का उल्लंघन किया गया है, क्योंकि इस कानून के जरिए धार्मिक मामलों और संस्थाओं की स्वतंत्रता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
AIMPLB का विरोध प्रदर्शन
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने 11 अप्रैल से वक्फ कानून के विरोध में 'वक्फ बचाव अभियान' की शुरुआत की है। यह अभियान 87 दिन तक चलेगा और इसके अंतर्गत एक करोड़ हस्ताक्षर जुटाए जाएंगे, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को भेजे जाएंगे। इसके बाद विरोध के अगले चरण की रणनीति बनाई जाएगी।
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सुप्रीम कोर्ट में अन्य याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर कुल दस याचिकाओं पर सुनवाई होनी है, जिन्हें विभिन्न मुस्लिम संगठनों और राजनेताओं ने दायर किया है। इनमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) और अन्य प्रमुख नेताओं द्वारा दायर याचिकाएं शामिल हैं।
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