राजीव गांधी की हत्यारे रिहा होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने नलिनी समेत 6 दोषियों की रिहाई का आदेश दिया

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Atul Tiwari
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राजीव गांधी की हत्यारे रिहा होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने नलिनी समेत 6 दोषियों की रिहाई का आदेश दिया

NEW DELHI. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को बड़ा फैसला सुनाया। इस हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे 6 दोषियों की समय से पहले रिहाई की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया है। शीर्ष अदालत ने नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन समेत 6 दोषियों की समय से पहले रिहाई का आदेश सुनाया है।



सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि लंबे समय से राज्यपाल ने इस पर कदम नहीं उठाया तो हम उठा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोषी करार दिए गए पेरारिवलन की रिहाई का आदेश बाकी दोषियों पर भी लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था। 



ये 6 दोषी होंगे रिहा



राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार और रॉबर्ट पॉयस को रिहा करने के आदेश दिया है। पेरारिवलन पहले ही इस मामले में रिहा हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई 2022 को जेल में अच्छे बर्ताव के कारण पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था। जस्टिस एल नागेश्वर की बेंच ने आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश दिया था। किसी खास मामले में न्याय की प्रक्रिया को तार्किक अंजाम तक पहुंचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल कर सकता है।



नलिनी बोली- मैं आतंकी नहीं हूं



जेल से रिहा होने के बाद नलिनी ने एक टीवी चैनल से बात की। उन्होंने कहा- मैं आतंकवादी नहीं हूं। मैं पिछले 32 सालों से जेल में बंद थी और ये मेरे लिए संघर्ष वाले समय रहे हैं। मैं उन सभी का धन्यवाद करती हूं, जिन्होंने मेरा समर्थन किया। विश्वास रखने के लिए मैं तमिलनाडु के लोगों और सभी वकीलों को धन्यवाद देती हूं।



31 साल पहले हुई थी राजीव गांधी की हत्या



21 मई 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। उन्हें एक महिला ने माला पहनाई थी, इसके बाद धमाका हो गया। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हुई थी। मामले में 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था। 12 लोगों की मौत हो चुकी थी और तीन फरार हो गए थे। बाकी 26 पकड़े गए थे, जिसमें श्रीलंकाई और भारतीय नागरिक थे। फरार आरोपियों में प्रभाकरण, पोट्टू ओम्मान और अकीला थे। आरोपियों पर टाडा कानून के तहत कार्रवाई की गई। 7 साल तक चली कानूनी कार्यवाही के बाद 28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट ने हजार पन्नों का फैसला सुनाया। इसमें सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई।



19 दोषी पहले हो चुके रिहा



ये फैसला टाडा कोर्ट का था, इसलिए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। टाडा कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस पूरे फैसले को ही पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 26 में से 19 दोषियों को रिहा कर दिया। सिर्फ 7 दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा गया था। बाद में इसे भी बदलकर उम्रकैद किया गया। 

 


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