New Delhi. प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी के निदेशक के पद पर संजय कुमार मिश्रा को तीसरी बार सेवा विस्तार दिए जाने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं। शीर्ष कोर्ट ने इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। अदालत ने कहा कि वह एक सेवानिवृत्त अधिकारी का कार्यकाल केवल असाधारण परिस्थितियों में बढ़ाने के अपने 2021 के फैसले पर पुनर्विचार करेगी। बता दें कि 8 सितंबर 2021 को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने संजय मिश्रा के कार्यकाल को दो साल से आगे बढ़ाने के केंद्र सरकार के आदेश को बरकरार रखा था।
उस दौरान अपने फैसले में इस बेंच ने कहा था कि रिटायरमेंट की आयु प्राप्त करने वाले अधिकारियों के कार्यकाल में विस्तार केवल दुर्लभ और असाधारण मामलों में किया जाना चाहिए। विस्तार थोड़े समय के लिए होना चाहिए न कि अनिश्चितकाल के लिए। अदालत ने गैरसरकारी संगठन कॉमन कॉज की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि इसकी जांच होनी चाहिए कि क्या मिश्रा के 3 साल के कार्यकाल का फैसला सुप्रीम कोर्ट के 1997 के फैसले के विपरीत है, जिसमें ईडी और सीबीआई के प्रमुखों के लिए न्यूनतम 2 साल का कार्यकाल निर्धारित किया गया है।
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उस दौरान सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम और अदालत के 1997 के फैसले को धारा 25(डी) में शामिल किया गया है, जिसमें कहा गया है कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999 या इस समय लागू किसी भी कानून में प्रर्वतन निदेशक पदभार संभाले जाने के बाद कम से कम दो साल की अवधि तक पद पर बने रहेंगे। दलील दी गई थी कि उक्त फैसले में न्यूनतम कार्यकाल का प्रावधान है दो साल से ज्यादा के कार्यकाल को लेकर कुछ नहीं कहा गया है।
बता दें कि संजय कुमार मिश्रा को 19 नवंबर 2018 के एक आदेश के बाद दो साल के लिए दोबारा पद पर नियुक्त किया गया था, नवंबर 2020 को केंद्र सरकार ने उनका कार्यकाल 1 साल के लिए और बढ़ा दिया था। 2021 में मिश्रा का एक्सटेंशन खत्म होने के उपरांत राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर दस्तखत कर दिए जिसके अनुसार सरकार ईडी और सीबीआई के प्रमुखों को उनके पद पर कायम रख सकती है।