सुप्रीम कोर्ट में आज सेम सेक्स मैरिज से जुड़ी दो याचिकाओं पर सुनवाई, शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता देने की गुहार

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Atul Tiwari
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सुप्रीम कोर्ट में आज सेम सेक्स मैरिज से जुड़ी दो याचिकाओं पर सुनवाई, शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता देने की गुहार

NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट 6 जनवरी को सेम सेक्स मैरिज (समलैंगिक शादी) को लेकर दो याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। दोनों याचिकाएं दिल्ली और केरल हाईकोर्ट में पेंडिंग थीं। पिटीशंस को शीर्ष कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए रजामंदी दे दी है। 



ये हैं दो मामले



एक याचिका पश्चिम बंगाल के सुप्रियो चक्रवर्ती और दिल्ली के अभय डांग ने लगाई है। वे दोनों करीब 10 साल से साथ रह रहे हैं और दिसंबर 2021 में हैदराबाद में शादी कर चुके हैं। अब चाहते हैं कि उनकी शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत वैधता मिले। दूसरी याचिका पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज की है, जो 17 साल से साथ हैं। उनका दावा है कि वे दो बच्चों का लालन-पालन साथ में कर रहे हैं, लेकिन कानूनी रूप से उनकी शादी पूरी नहीं हुई है। इसके चलते ऐसी स्थिति बन गई है, जहां वे अपने बच्चों के कानूनी तौर पर पेरेंट्स नहीं कहला सकते।



भारत में शादी को लेकर ये कानून



असल में भारतीय कानून के हिसाब से महिला और पुरुष के बीच ही शादी हो सकती है। इसी कानून में समलैंगिक शादी को शामिल करने की गुंजाइश तलाश रहे लोगों का तर्क है कि कानून में पत्नी की परिभाषा में जेंडर स्पष्ट नहीं किया गया है। अगर ‘पत्नी’ शब्द को जेंडर न्यूट्रल मानने की मांग को मंजूरी मिलती है तो समलैंगिकों के बीच शादी को ही कानूनी मान्यता नहीं मिलेगी, बल्कि उनके बीच प्रॉपर्टी राइट्स, बच्चे को गोद लेने के अधिकार जैसे कानूनी सवालों पर संशय साफ हो सकेगा।



2018 में शीर्ष कोर्ट ने खत्म किया था 158 साल पुराना कानून



6 सितंबर 2018 सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाले 158 साल पुराने कानून को रद्द कर दिया था। मौजूदा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ उस समय कानून खत्म करने वाली बेंच में शामिल थे। इस कानून के रद्द होने के बाद होमोसेक्सुएलिटी के बारे में लोगों का नजरिया बदला और सेम सेक्स मैरिज के लिए जमीन तैयार हुई।



क्या है सेक्स और जेंडर में फर्क?




  • सेक्स- ये बायोलॉजिकल टर्म है। बॉडी स्ट्रक्चर, हार्मोन और उनके प्राइवेट पार्ट के आधार पर जन्म के वक्त ही बच्चे का सेक्स यानी उसके मेल या फीमेल होने का पता चल जाता है। 


  • जेंडर- ये साइकोलॉजिकल टर्म है। ये इस आधार पर तय होता है कि व्यक्ति खुद को क्या समझता, महसूस करता है। इसमें पुरुष के रूप में पैदा हुआ व्यक्ति महिला और महिला रूप में पैदा हुई खुद को मेल फील कर सकती है।


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