अब स्विट्जरलैंड (Switzerland) भी बुर्का पर बैन लगाने वाले देशों में शामिल हो गया है। स्विट्जरलैंड की सरकार ने स्विट्जरलैंड ने बुर्का और चेहरे को ढकने वाले अन्य परिधानों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। देश में यह कानून अधिकारिक तौर पर 1 जनवरी 2025 से लागू किया जाएगा।
दरअसल, साल 2021 में स्विटजरलैंड में हुए जनमत संग्रह में बुर्का से जुड़े विधेयक को बहुत कम अंतर से पारित किया गया था, इसको लेकर मुस्लिम संगठनों ने जमकर आलोचना की थी। 51.2% स्विस वाटर्स ने सार्वजनिक स्थलों पर चेहरा ढकने के प्रतिबंध के पक्ष में मतदान किया था। इसका उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है।
प्रतिबंध लगाने के पीछे सरकार का तर्क
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्विट्जरलैंड में बुर्के और नकाब (चेहरे को ढकने वाले परिधान) पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के पीछे सरकार का तर्क है कि इससे सार्वजनिक सुरक्षा, सामाजिक एकता और महिलाओं की स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलेगा। स्विट्जरलैंड सरकार का मानना है कि बुर्के जैसी पूरी तरह से चेहरे को ढकने वाली पोशाक अपराध को बढ़ावा दे सकती है क्योंकि यह पहचान छिपाने में मदद करती है। इसके अलावा, यह कदम महिलाओं को ज्यादा स्वतंत्रता देने और उन्हें समाज में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करने का भी प्रयास है, क्योंकि वे सार्वजनिक जीवन में भाग लेने के लिए अपने चेहरे को दिखा सकेंगी।
यहां नहीं रहेगा चेहरा ढकने पर प्रतिबंध
स्विट्जरलैंड सरकार ने अपने बुर्के पर प्रतिबंध के फैसले में कुछ महत्वपूर्ण छूट भी दी हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि हवाई जहाज, राजनयिक और वाणिज्य दूतावास परिसरों में चेहरा ढकने का प्रतिबंध लागू नहीं होगा। इसके अलावा, पूजा स्थलों और अन्य पवित्र स्थानों पर चेहरा ढकने की अनुमति दी जाएगी, ताकि धार्मिक प्रथाओं के पालन में कोई रूकावट न आए। सरकार ने यह भी कहा है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में चेहरे को ढकने की अनुमति दी जाएगी, जैसे कि... स्वास्थ्य और सुरक्षा उद्देश्यों के तहत, जैसे सर्दियों में अत्यधिक ठंड से बचने के लिए या किसी अन्य सुरक्षा कारणों से।
- पारंपरिक रीति-रिवाजों के पालन के लिए, जो कि किसी विशेष संस्कृति या समुदाय के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
- मौसम की स्थिति के कारण, जैसे ठंड या धूप से बचाव के लिए चेहरा ढकना।
- कलात्मक या मनोरंजन उद्देश्यों के लिए, जैसे फिल्म, थियेटर या किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान।
- विज्ञापन उद्देश्यों के लिए, जैसे प्रचार-प्रसार के दौरान।
सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि उनका निर्णय सार्वजनिक सुरक्षा और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से है, लेकिन साथ ही विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखा गया है। इस तरह के नियमों के जरिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है, जो न केवल सुरक्षा और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देता है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विविधता का भी सम्मान करता है।
अब, आइए जानते हैं कि दुनिया के किन देशों में बुर्के और निकाब पर बैन है।
फ्रांस: फ्रांस दुनिया का पहला देश था जिसने 2010 में सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का (या निकाब) पहनने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया। फ्रांस सरकार का कहना था कि यह कदम समाज में एकजुटता और समानता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। फ्रांस के संविधान और "सेकुलरिज्म" (धर्मनिरपेक्षता) के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया। समानता, महिला अधिकार, सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ावा देना इस कदम का उद्देश्य था। यहां 2010 में बुर्का बैन को आधिकारिक रूप से लागू किया था। इस कानून के तहत महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर पूरी तरह से चेहरा ढकने वाले परिधान पहनने की परमिशन नहीं थी। सरकार का तर्क है कि यह कदम महिला सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि बुर्का पहनने को महिला स्वतंत्रता के खिलाफ माना गया था।
बेल्जियम: बेल्जियम ने 2011 में सार्वजनिक स्थानों पर बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया। इसे महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक जरूरी कदम माना गया। इस कानून के तहत उन महिलाओं को जुर्माना और जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है जो सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढककर घूमती हैं।
नीदरलैंड्स: नीदरलैंड्स ने भी 2019 में बुर्के पर बैन लगाया। इस कानून के तहत, सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनने वाली महिलाओं पर जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि, यह प्रतिबंध सार्वजनिक परिवहन, स्कूल, अस्पतालों और सरकारी दफ्तरों में लागू होता है, न कि निजी क्षेत्रों में।
ऑस्ट्रिया: ऑस्ट्रिया में भी 2017 में सार्वजनिक स्थलों पर बुर्के पर प्रतिबंध लगाने का कानून पास किया गया। इस कानून के तहत, सार्वजनिक परिवहन और सरकारी भवनों में बुर्का पहनने पर जुर्माना लगाया जा सकता है। इसे महिलाओं की स्वायत्तता और सुरक्षा के लिहाज से एक जरूरी कदम माना गया।
डेनमार्क: डेनमार्क में 2018 में सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे को ढकने वाले कपड़ों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस कानून के तहत महिलाओं को बुर्का पहनने पर जुर्माना भरना पड़ सकता है। डेनमार्क सरकार ने इस कदम को सुरक्षा और सांस्कृतिक समायोजन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना।
नॉर्वे: नॉर्वे में भी 2018 में स्कूलों और विश्वविद्यालयों में बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि, सार्वजनिक स्थानों पर यह प्रतिबंध लागू नहीं है, लेकिन शिक्षा संस्थानों में यह कदम उठाया गया है ताकि समाज में समावेशिता और एकजुटता को बढ़ावा दिया जा सके।
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