नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत, जानिए इस पर्व का महत्व और विधि

सूर्य उपासना के महापर्व छठ या षष्‍ठी पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो गई है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला यह आस्था का बड़ा पर्व है। यह पूजा स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और दीर्घायु के लिए की जाती है।

author-image
Vikram Jain
New Update
The four-day long festival of Chhath begins with bathing and eating
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

Chhath Puja 2024 : लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत नहाए-खाए के साथ हो गई है। व्रत रखने वाले लोगों ने गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करने के बाद सूर्य देव की पूजा की। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व में सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा-उपासना होती है। व्रती महिलाएं संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। चार दिन तक चलने वाला छठ महापर्व खरना, संध्या अर्घ्य, प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ 8 नवंबर को समाप्त होगा।

छठ पर्व क्यों मनाया जाता है?

कार्तिक मास के संदर्भ में शास्त्रों में उल्लेख है कि इस समय सूर्य अपनी नीच राशि में होता है, जिसके कारण सूर्य देवता की विशेष पूजा और उपासना का महत्व बढ़ जाता है। इस पर्व में संतान की आयु की कामना की जाती। सूर्य देव और षष्ठी की उपासना से संतान की प्राप्ति और उसकी आयु की सुरक्षा दोनों संभव होती है। छठ पूजा का महत्व सूर्य देवता की पूजा से जुड़ा है। यह पूजा विशेष रूप से स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और दीर्घायु के लिए की जाती है।

इस पर्व का महत्व

मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को हर मनोकामना पूर्ण होती है। घर-परिवार में शांति और खुशहाली बनी रहती है। छठ का व्रत मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की कामना के लिए रखती हैं। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए भी ये व्रत खास माना जाता है। सूर्य उपासना का यह अनुपम लोकपर्व उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में धूमधाम से मनाया जाता है।

छठ पूजा 2024 की तिथियां 

• छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर (नहाय खाय)

• छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर (खरना)

• छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर (संध्या अर्घ्य)

• छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर (उषा अर्घ्य)

छठ पूजा का महत्व और विधि

पहले दिन नहाए-खाए से छठ महापर्व की शुरूआत होती है, जिसमें व्रती शरीर और मन को शुद्ध करने करते हैं। इस दिन शुद्धता के साथ सात्विक भोजन किया जाता है। साथ ही पूजन विधि का पालन किया जाता है।

सात्विक भोजन करते हैं व्रती

छठ में व्रती पहले दिन सुबह-सुबह पवित्र नदी, तालाब या घर में स्नान करते हैं। स्नान करने के बाद पूरे घर के लिए रसोईघर की सफाई की जाती है। रसोई को शुद्ध रखा जाता है। इसके बाद व्रती पूरे मन और आत्मा से पूजापाठ के नियमों के पालन का संकल्प लेते हैं। नहाए-खाए के दिन व्रती सिर्फ सरल, सात्विक भोजन करते हैं। इस भोजन में चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी होती है। भोजन में लहसुन, प्याज और मसालों का इस्तेमाल नहीं होता है। भोजन पारंपरिक तरीके से मिट्टी या कांसे के बर्तनों में बनाया जाता है। इसके बाद व्रती इसे शुद्धता के साथ ग्रहण करते हैं। व्रती के भोजन के बाद परिवार के सदस्य भोजन करते हैं।

  • महापर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। लोग दिन में व्रत रखकर संध्या में खीर का सेवन करते हैं। इस व्रत में गन्ने के रस की बनी खीर का सेवन किया जाता है। सबसे खास बात यह है कि इस खीर में नमक या शक्कर का प्रयोग नहीं किया जाता है।
  • छठ महापर्व में तीसरे दिन भी व्रत रखा जाता है, व्रती डूबते हुए सूर्य को दूध और जल का अर्घ्य देते हैं। इस दिन भास्कर को विशेष प्रकार का पकवान ठेकुवा और फल भेंट किए जाते हैं। ताकि जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
  • महापर्व के चौथे दिन उगते हुए भगवान भास्कर को अंतिम अर्घ्य (जल अर्पण) दिया जाता है। इसके बाद प्रसाद खाकर व्रत का समापन किया जाता है।

किसने की छठ पूजा की शुरुआत? 

पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल में छठ महापर्व की शुरुआत हुई थी। सूर्य देवता पूजा की शुरुआत सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी। कहा जाता है कि कर्ण प्रतिदिन सूर्य देव की पूजा करते थे। वह हर दिन घंटों तक कमर जितने पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया करते थे। कहते हैं कर्ण के महान योद्धा बनने के पीछे सूर्य देव की ही कृपा थी। छठ पूजा में भी महिलाएं नदी के पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं।

छठ पूजा से जुड़ी अन्य कथा के मुताबिक द्वापर युग में जब पांडवों को 12 साल का वनवास हुआ वह एक वर्ष का अज्ञातवास प्राप्त हुए था तो पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी छठ पूजा का व्रत किया था। कहते हैं सूर्य देव के आशीर्वाद से पांडवों को साहस और तेज प्राप्त हुआ जिससे की उन्होंने महाभारत के युद्ध में विजय मिली थी।

छठ पूजा धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व

छठ पूजा का उद्देश्य सूर्य देवता से जीवन में सुख, स्वास्थ्य, समृद्धि, और लंबी उम्र का आशीर्वाद प्राप्त करना है। छठ पूजा एक धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है जो सूर्य देवता की उपासना के माध्यम से जीवन में सकारात्मकता, ऊर्जा, और समृद्धि लाने के लिए मनाया जाता है। यह विशेष रूप से महिला व्रति का पर्व है, जिसमें परिवार की खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए सूर्य देवता से आशीर्वाद मांगा जाता है।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

छठ पर्व क्यों मनाया जाता है? नहाय-खाय छठ पूजा का महत्व छठ पूजा की विधि छठ पूजा 2024 Chhath puja 2024 सूर्य छठ महापर्व 2024 छठ महापर्व