इस समय तिरुपति मंदिर में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को लेकर देशभर में घमासान मचा हुआ। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रूबाबू नायडू ने मंदिर में चढ़ने वाले प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाने को लेकर प्रदेश की पिछली जगमोहन रेड्डी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। सीएम के आरोपों की जांच में पुष्टि भी हो चुकी हैं। अब प्रसाद को लेकर सरकार क्या एक्शन लेगी वो बात की बात है। इसके पहले हम आपको बताने जा रहे हैं कि सनातन धर्म में प्रसाद का महत्व कितना अधिक है। प्रसाद को लेकर हिंदू धर्म में क्या मान्यताएं प्रचलित है। प्रसाद की शुरूआत कैसे हुई, किसने बनाया, क्या है इसका इतिहास। आइए बताते हैं सब कुछ...
सबसे धनी तिरुपति बालाजी मंदिर
आंध्र प्रदेश में तिरुमला की पहाड़ी पर मौजूद देश का सबसे धनी तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple ) है। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान वेंकटेश को कई रुपों में जाना जाता है। जैसे कि वेंकटेश्वर और तिरुपति स्वामी, तिरुपति बालाजी के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के विषय में अब तक तीन बातें प्रसिद्ध रही हैं। पहली, यह भारत के सबसे धनी मंदिरों में से एक है। दूसरी मंदिर में करोड़ों की चढ़ावे की धनराशि, और तीसरी यहां के प्रसाद की। प्रसाद के रुप में यहां लड्डू अधिक प्रसिद्ध है। यहां के लड्डू को तिरुपति भगवान की कृपा का साक्षात प्रतिरूप माना जाता है।
क्यों हो रही है प्रसाद की चर्चा
तिरुपति मंदिर परिसर बिकने वाले लड्डू की चर्चा इनदिनों बहुत हो रही है। आंध्र प्रदेश के सीएम के बयान के बाद प्रसाद को कई तरह की असमंजस की स्थित पैदा हो गई है कि आखिर सच्चाई क्या है। सीएम के बयान के मुताबिक प्रसाद में मिलावट भी ऐसी-वैसी नहीं है। यहां पर बिकने वाले लड्डू में फिश ऑयल और एनिमल टैलो को मिलाया जाता था। ये जानकारियां सामने आने के बाद श्रद्धालुओं में आक्रोश है।
प्रसाद को लेकर मान्यता
तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद का इतिहास बहुत समृद्ध और प्राचीन है। लड्डू प्रसाद तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर की ( Tirupati Balaji Temple ) पारंपरिक रीतियों और भक्ति-पूजा से जुड़ा हुआ है। तिरुपति बालाजी के मंदिर में लड्डू को विशेष प्रसाद (special offerings ) के रूप में उन्हें अर्पित किया जाता है और इसे श्रद्धालु बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ ग्रहण करते हैं। दरअसल भगवान विष्णु (Lord Vishnu ) के सभी मंदिरों में पंचमेवा प्रसाद ( Panchmeva Prasad ) का बहुत महत्व है। ये पंचमेवा पांच तत्वों, पांच इंद्रियों और पंच भूतों का प्रतीक हैं। इन्हें मिलाकर प्रसाद बनाया जाता है। इसी तरह लड्डू ही प्रसाद में चढ़ने लगे, जो कि घी, बेसन, काजू, चीनी, किशमिश मिलाकर बनाया जाता है।
प्रसाद की बांटने की शुरूआत
प्रसाद के लड्डू को लेकर एक और कहानी है। कहते है भगवान बालाजी और माता लक्ष्मी ने खुद ही पुजारियों को लड्डू बनाने की विधि बताए थे। कहा जाता है कि उसी समय से लड्डू को भगवान वेंकटेश्वर का विशेष प्रसाद माना जाने लगा, और इसे भक्तों के बीच बांटने की परंपरा शुरू हुई।
तिरुपति मंदिर में खुद हैं भगवान विष्णु
तिरुपति मंदिर (Tirupati Temple ) में श्रीकृष्ण (Sri Krishna ) का ही चतुर्भुज स्वरूप स्थापित है जो कि भगवान विष्णु का ही सनातन स्वरूप है। तिरुपति का अर्थ है तीनों लोकों का स्वामी। यहां वह वेंकटेश श्रीनिवास के रूप में अपनी पत्नी पद्मा और भार्गवी के साथ विराजते हैं। पद्मा और भार्गवी देवी लक्ष्मी के ही अवतार हैं, और श्रीनिवास वेंकटेश खुद महाविष्णु (Mahavishnu ) हैं।
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