SC का आदेश, तिरुपति लड्डू विवाद की जांच नई SIT करेगी, सॉलिसिटर जनरल बोले- अगर आरोप में थोड़ी भी सच्चाई तो यह बिल्कुल अस्वीकार्य

सुप्रीम कोर्ट में तिरुपति मंदिर प्रसाद विवाद को लेकर सुनावई हुई। इस दौरान जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि यदि आरोप सही हैं, तो यह बहुत ही गंभीर विषय है।

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Raj Singh
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सुप्रीम कोर्ट आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने आज उन याचिकाओं पर सुनवाई की जिनमें अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि यदि आरोप सही हैं, तो यह अत्यंत गंभीर है। उन्होंने यह भी कहा कि एसआईटी की जांच किसी वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारी की निगरानी में होनी चाहिए, ताकि लोगों का भरोसा बना रहे।

वहीं कोर्ट ने इस मामले में एक नई स्वतंत्र एसआईटी के गठन का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, एसआईटी में सीबीआई के दो अधिकारी, आंध्र प्रदेश पुलिस के दो अधिकारी और एफएसएसएआई का एक वरिष्ठ अधिकारी होगा। सीबीआई निदेशक एसआईटी जांच की निगरानी करेंगे।

गुरुवार दोपहर 3:30 बजे होनी थी सुनवाई

बता दें कि पहले इस मामले की सुनवाई गुरुवार दोपहर 3:30 बजे होनी थी। तब मेहता ने जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा था कि यदि आप अनुमति दें तो क्या मैं शुक्रवार सुबह 10:30 बजे जवाब दे सकता हूं? जिस पर पीठ ने अनुरोध स्वीकार करते हुए शुक्रवार को मामले की सुनवाई की।  

लड्डू विवाद से जुड़ा है मामला

यह पूरा मामला तिरुपति लड्डू विवाद से संबंधित है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने जांच की प्रक्रिया और सबूतों पर चर्चा की। सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि यदि लड्डू बनाने में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया है, तो यह धार्मिक आस्था के लिए गंभीर चिंता का विषय है। पीठ ने यह भी पूछा कि क्या जांच के लिए स्वतंत्र एजेंसी की आवश्यकता है या राज्य की विशेष जांच टीम (एसआईटी) की जांच जारी रहनी चाहिए।

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आंध्र प्रदेश सरकार से सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा है कि प्रसाद के लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल हुआ था या नहीं। वहीं टीडीपी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने यह मुद्दा उठाया कि लोगों ने लड्डू के स्वाद को लेकर शिकायत की थी। कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि लोगों को इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है और सिर्फ बयान देने से काम नहीं चलेगा। अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि प्रसाद बनाने में दूषित घी का प्रयोग किया गया। यह मामला स्वास्थ्य और सार्वजनिक विश्वास से जुड़ा हुआ है, इसलिए अदालत ने स्पष्टता की मांग की है।

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