New Delhi. देश का सुप्रीम कोर्ट सप्ताह में पांच दिन नियमित काम करता है। सोमवार और शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट नई दाखिल हुई याचिकाओं पर सुनवाई करता है तो वहीं मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को पुराने मामलों में सुनवाई होती है। इसी क्रम में मंगलवार 11 जुलाई का दिन कोर्ट में बेहद ही अहम रहने वाला है। कोर्ट आज (11 जुलाई) कई बड़े मसलों की सुनवाई करेगा। इसमें ज्ञानवापी मामला, धारा 370 का मामला और मणिपुर हिंसा का मामला प्रमुख है।
ज्ञानवापी मामलों में दाखिल याचिकाओं को सुनेगा कोर्ट
जानकारी के अनुसार, ज्ञानवापी मामले और उपासना स्थल विधेयक को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर चीफ जस्टिस की अगुआई वाली पीठ सुनवाई करेगी। तीन जजों की पीठ में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पामिदिघंटम श्री नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ इन सभी मामलों की सुनवाई करेगी। इसके साथ ही कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करवाए जाने की मांग वाली याचिका पर भी कोर्ट सुनवाई करेगा। इस मामले पर सुनवाई सुबह 10:30 पर शुरू होगी।
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मणिपुर हिंसा मामले को भी सुनेगा सर्वोच्च अदालत
सुप्रीम कोर्ट मणिपुर हिंसा मामले में भी मंगलवार यानी की 11 जुलाई को सुनवाई करेगा। इसके साथ ही राज्य में इंटरनेट शुरू किए जाने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर मणिपुर सरकार की याचिका पर भी सुनवाई की जाएगी। बता दें कि 7 जुलाई को मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को प्रदेश में इंटरनेट पर लगे बैन को हटाने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है। सरकार ने कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश की स्थिति में बदलाव हो रहा है और हालात अभी ठीक नहीं हैं। अत: अभी इंटरनेट चालु करना ठीक नहीं होगा।
अनुच्छेद-370 हटाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर भी होगी सुनवाई
वहीं, तीसरी महत्वपूर्ण सुनवाई अनुच्छेद 370 को खत्म करने 370 खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने को लेकर है। इस मामले को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत की पीठ सुनेगी। वहीं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा है कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में शांति का अभूतपूर्व युग आया है।
महबूबा मुफ्ती बोलीं- सुनवाई करने के कोर्ट के फैसले का स्वागत करती हूं
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और PDP चीफ महबूबा मुफ्ती ने कोर्ट के इस फैसले का मैं स्वागत किया है। उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को न्याय मिलेगा। आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह साफ हुआ था कि इसे सिर्फ जम्मू-कश्मीर की विधानसभा की सिफारिश पर ही रद्द किया जा सकता है।'
उमर अब्दुल्ला ने कहा था- उम्मीद है कि अधिकार वापस मिलेंगे
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा था- उम्मीद जगी है कि 5 अगस्त 2019 को हमसे छीने गए अधिकार वापस मिलेंगे। हम पहले दिन से कह रहे हैं कि जो कुछ भी हमसे छीना गया है, हमें कोई उम्मीद नहीं है कि मौजूदा सरकार उसे बहाल करेगी। हम कानूनी प्रक्रिया के जरिए अपना अधिकार वापस चाहते हैं।