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MUMBAI. गणित के जादूगर कहे जाने वाले श्रीनिवास रामानुजन की आज (26 अप्रैल) को 136वीं डेथ एनिवर्सरी है। श्रीनिवास का जन्म 22 दिसंबर 1887 में तमिलनाडु के इरोड गांव में हुआ था। उनका बचपन अन्य बच्चों जैसा सामान्य नहीं था। वह 3 साल की उम्र तक बोल नहीं पाए थे। बचपन में उनका पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। लेकिन मैथ्स के हर सवाल को मिनटों में सुलझा देना उनके लिए बाएं हाथ का खेल था। रामानुजन ने मैथ्स की दुनिया में ऐसी कई थ्योरी दी है, जिसे आज भी बच्चे पढ़ाई के लिए यूज करते हैं।
बेहद गरीब परिवार से थे रामानुजन
श्रीनिवास का जन्म ईरोड में हुआ लेकिन उनकी परवरिश कुंबाकोनम में हुई। रामानुजन के जन्म के बाद उनका पूरा परिवार यहीं बस गया। रामानुजन बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता एक कपड़े की दुकान में काम करते थे। उनकी मां की भगवान में बहुत आस्था थी। वह मंदिर में भजन गाया करती थी। उनका परिवार इतना कमजोर था कि मंदिर से मिलने वाले प्रसाद को वह घर ले आतीं थी, जिससे कि उनका परिवार एक वक्त का खाना खा सकें। उनकी लाइफ में एक समय ऐसा भी था, जब उन्हें एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो पाता था।
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बड़ी क्लास के बच्चों को सवाल हल करने में करते थे मदद
रामानुजन अपनी प्रतिभा के दम पर अपनी क्लास से बहुत आगे थे। वह बड़ी क्लास के बच्चों को मैथ्स के सवाल हल करने में मदद करते थे। रामानुजन मैथ्स में काफी होशियार थे। उनकी प्रतिभा को देखकर एक दिन टीचर ने ये तक कह दिया था कि अब उनके पास कोई ऐसा ज्ञान बाकी नहीं जो वह रामानुजन को दे सकें। अगर उन्हें 100 में से 101 या 1000 देने की छूट हो तो वह रामानुजन को उतने ही नंबर दे दें।
मैथ्स के अलावा बाकी विषयों में हो गए थे फेल
रामानुजन को मैथ्स इतना पसंद था कि वह सिर्फ इसी विषय की पढ़ाई ज्यादा किया करते थे। इस वजह से वह जब 11वीं क्लास में थे, तब सभी विषयों में फेल हो गए थे। सिर्फ मैथ्स में ही पास हुए थे। इस वजह से वह काफी डिप्रेशन में भी चले गए थे। फेल होने की वजह से उन्हें जो पढ़ाई के लिए मिली स्कॉलरशिप मिलनी थी, वह भी गंवानी पड़ी। इससे तंग आकर उन्होंने सुसाइड करने की कोशिश की थी।