NEW DELHI. कर्नाटक हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने बड़ी बात कही है। केंद्र ने माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर को आर्टिकल-19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार नहीं होने की बात कही है। कर्नाटक हाईकोर्ट में 16 मार्च को केंद्र सरकार ने सरकार की सरफ से कहा गया कि आर्टिकल-19 के तहत संविधान में फ्रीडम ऑफ स्पीच का अधिकार भारत के नागिरकों और संस्थाओं के लिए है, किसी भी विदेशियों को इस अधिकार के तहत कोई सुविधा नहीं मिलेगी।
ट्विटर ने किया था दावा
ट्विटर ने केंद्र सरकार के कुछ आदेशों के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। जिसमें केंद्र की तरफ से फरवरी 2021 से लेकर फरवरी 2022 के बीच ट्विटर को कुछ अकाउंट्स और पोस्ट को ब्लॉक करने के आदेश दिए गए थे। ट्विटर ने दावा किया था कि ये आदेश मनमाने हैं, क्योंकि इससे पहले कंटेंट लिखने वाले को पहले से कोई नोटिस नहीं दिया गया।
'ट्विटर को नहीं आर्टिकल 19 के तहत सुरक्षा'
केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (साउथ) आर शंकरनारायणन ने हाईकोर्ट के सामने कहा कि ट्विटर को आर्टिकल 19 के तहत सुरक्षा नहीं मिल सकती है, क्योंकि ट्विटर एक विदेशी संस्था है। आर्टिकल 14 के अंतर्गत इसमें कुछ भी मनमाना नहीं है और सेक्शन 69(ए) इसे पुष्ट करता है। इसलिए उन्हें किसी तरह की राहत नहीं मिल सकती है। इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 10 अप्रैल दी गई है। ट्विटर ने हाईकोर्ट में अकाउंट को बंद किए जाने को लेकर केंद्र सरकार के आदेश पर बहस करते हुए इसे आईटी कानून के सेक्शन 69(ए) के तहत गलत बताया था। साथ ही माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने इसे आर्टिकल 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया था।
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ट्विटर ने दिया गोपनीयता के नियमों का हवाला
आर शंकरनारायणन ने हाईकोर्ट में कहा कि जब भी ट्विटर से प्रोफाइल के बारे में जानकारी मांगी गई तो कंपनी ने अपने गोपनीयता नियम का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती थी और हिंसा होने का भी खतरा था। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान सरकार के फर्जी अकाउंट्स से कोई ऐसा ट्वीट करता जिसमें भारत के कब्जे वाला कश्मीर या लिट्टे चीफ प्रभाकरन के जिंदा होने की बात करता तो स्थिति भयावह हो सकती थी। शंकरनारायणन ने कहा कि संभावना के आधार पर फैसले लेने का समय बदल गया है और इसे एक सीधा-सपाट फॉर्मूला नहीं माना जा सकता है।