New Delhi. देश में फिर सियासत की बिसात बिछाई जाने लगी है। अगले दो दिनों में बेंगलुरु में विपक्षी दलों और नई दिल्ली में नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की होने वाली बैठक के साथ ही 2024 के चुनावी संग्राम की तस्वीर साफ हो जाएगी। 17 जुलाई से शुरू होने वाली विपक्षी दलों की दो दिवसीय बैठक में 26 पार्टियों के शिरकत करने की संभावना है तो वहीं एनडीए के बैनर तले 18 जुलाई को होने वाली बैठक में 30 पार्टियां एकजुटता दिखा सकती हैं।
बेंगलुरु रवाना होने से पहले मल्लिकार्जुन खड़गे का बड़ा बयान
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— TheSootr (@TheSootr) July 17, 2023
बैठक से पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए सबको मिलकर काम करना होगा। बीजेपी का नाम लिए बिना खड़गे ने कहा, वो कहते हैं हमारी पार्टी सबसे बड़ी है तो फिर तोड़फोड़ क्यों करते हैं? उन्होंने कई विपक्षी पार्टियों कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी आदि का नाम लेते हुए कहा कि जब तक इन दलों के चुने हुए नेता उनकी पार्टी (बीजेपी) में शामिल नहीं होते, तब तक करप्ट रहते हैं और उनकी वॉशिंग मशीन में जाते ही क्लीन हो जाते हैं। खड़गे ने कहा कि जैसे उनके पास ऐसी वॉशिंग मशीन है जिसमें डालते ही काले कपड़े, सफेद में बदल जाते हैं। उनकी डराने धमकाने की आदत है। हम डरने वाले नहीं हैं।
पांच दलों का अलग ही रुख
इससे इतर, बीआरएस, बीजेडी और वाइएसआर कांग्रेस दोनों खेमों से दूर अपने दम पर मैदान में उतरेंगी। राजग में वापसी की कोशिश में जुटे अकाली दल और टीडीपी की स्थिति अभी साफ नहीं हो पाई है।
विपक्षी एकता के लिए ‘सीटों का बंटवारा’ बना असली चुनौती
एनडीए को चुनौती देने के लिए विपक्षी एकता की कोशिशों को अमली जामा पहनाने को 23 जून को 16 पार्टियों के नेता पटना में एकजुट हुए थे। 17-18 जुलाई को बेंगलुरु बैठक में इस विपक्षी एकता को मूर्त रूप देने की कोशिश होगी, जिसमें अगले साल होने वाले आम चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर किसी फार्मूले को अंतिम रूप दिया जा सकता है। बंगाल से लेकर दिल्ली, पंजाब, गुजरात और गोवा तक सीटों का बंटवारा विपक्षी एकता के लिए असली चुनौती बना हुआ है।
विपक्षी एकता के नए नाम का हो सकता है ऐलान
सूत्रों ने कहा कि बैठक में विपक्षी दल बीजेपी की नीतियों के खिलाफ देशभर में एक संयुक्त आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेंगे। इसके साथ ही विपक्षी एकता के नए नाम का औपचारिक एलान भी किया जा सकता है। 2004 से 2014 के बीच विपक्षी दलों के गठबंधन को संप्रग नाम दिया गया था। इस बार इसे पैट्रियाटिक डेमोक्रेटिक अलायंस (PDA) नाम दिए जाने का सुझाव आ चुका है।
केजरीवाल की पार्टी ‘आप’ को मिला कांग्रेस का साथ
दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर पटना बैठक से बाहर आ गई अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) भी बेंगलुरु की बैठक में शामिल होगी। आप ने संसद के मानसून सत्र में दिल्ली अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस के समर्थन की शर्त रखी थी। शनिवार को कांग्रेस ने अध्यादेश के विरोध का एलान कर दिया।
विपक्ष दलों की बैठक में कौन-कौन रहेंगे उपस्थित?
विपक्ष दलों की बैठक में पहली बार आरएसपी, फारवर्ड ब्लाक, एमडीएमके, केडीएमके, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जैसे छोटे-छोटे दल शामिल होंगे। बेंगलुरु की बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, शरद पवार, लालू यादव, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, उमर अब्दुल्ला, अरविंद केजरीवाल और महबूबा मुफ्ती जैसे विपक्ष के बड़े चेहरे एक साथ दिखेंगे। इस बार बैठक में कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी के भी शामिल होने की संभावना है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक इन्हीं विपक्षी नेताओं पर एनडीए के विजय रथ को थामने की जिम्मेदारी होगी।
दिल्ली में एनडीए दलों की बैठक
उधर, मंगलवार (18 जुलाई) को ही दिल्ली के अशोका होटल में एनडीए के दलों की बैठक होगी। बैठक में एनडीए घटक दलों के नेताओं के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद रहेंगे। बैठक में सभी दल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2024 की लड़ाई का एलान करेंगे।
एनडीए की बैठक में लगभग 30 दलों के शामिल होने की उम्मीद
संसद के नए भवन के उद्घाटन के विपक्षी दलों के विरोध के खिलाफ एनडीए के 14 दलों ने बयान जारी किया था, लेकिन अब एनडीए का कारवां बढ़ चुका है और इस बैठक में लगभग 30 दलों के शामिल होने की उम्मीद है। इनमें बीजेपी और एआईएडीएमके के अलावा शिवसेना, राकांपा (अजीत पवार गुट), हम, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, जजपा जैसी पार्टियां शामिल हैं।
अकाली और टीडीपी का क्या है हाल?
टीडीपी और अकाली दल जैसे राजग के पुराने सहयोगी वापसी की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा के कड़े रूख के कारण बात नहीं बन पा रही है। ऐसे में भाजपा पंजाब में अकेले और आंध्र प्रदेश में पवन कल्याण की पार्टी के साथ मैदान में होगी, वहीं कर्नाटक में जेडीएस और उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी के साथ भी बातचीत चल रही है लेकिन उसे अंतिम स्वरूप देने में अभी और वक्त लगेगा।
दक्षिण में चुनावी जंग की होगी अलग तस्वीर
यदि बीजेपी का टीडीपी के साथ तालमेल नहीं हुआ तो आंध्रप्रदेश में विपक्ष और एनडीए की लड़ाई नहीं होगी। वहां वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी आमने-सामने होंगी और भाजपा व पवन कल्याण अलग से मैदान में होंगे। केरल में विपक्षी एकता में शामिल कांग्रेस और माकपा के बीच मुख्य मुकाबला होने की उम्मीद है, जबकि तेलंगाना में बीआरएस, कांग्रेस-बीजेपी और ओडिशा में बीजेडी, कांग्रेस और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है