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अजय छाबरिया, BHOPAL. यूनिसेफ इंडिया ने एंजेसी की वैश्विक फ्लैगशिप रिपोर्ट 'द स्टेट ऑफ द वर्ल्डस चिल्ड्रन 2023 फॉर एवरी चाइल्ड, वैक्सीनेशन जारी की, जिसमें बाल टीकाकरण के महत्व के बारे में बताया गया। द वैक्सीन कोन्फीडेंस प्रोजेक्ट के द्वारा डेटा जुटाया गया। (लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रापिकल मेडिसिन) और यूनिसेफ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट खुलासा करती है कि बाल टीकाकरण के महत्त्व और लोकप्रिय धारणा केवल चीन, भारत और मैक्सिको में मजबूत बनी और इसमें सुधार भी हुआ। जबकि जिन देशों में अध्ययन किया गया, उनमें से एक तिहाई देशों में महामारी की के बाद टीकों के प्रति विश्वास में गिरावट आई है।
30 साल में सबसे बड़ी गिरावट
टीके पर भरोसे में दुनियाभर में ये गिरावट, बीते 30 सालों में बाल टीकाकरण में सबसे बड़ी निरंतर गिरावट के बीच आई है, कोविड-19 महामारी ने इस स्थिति को और खराब किया है। महामारी ने लगभग हर जगह बाल टीकाकरण को प्रभावित किया।
पोलियो से लकवाग्रस्त बच्चों में 8 गुना की बढ़ोतरी
यूनिसेफ की रिपोर्ट की बताती है कि 2019 और 2021 में 6.7 करोड़ बच्चे टीकाकरण से छूट गए, 112 देशों में टीकाकरण कवरेज स्तर में कमी आई। उदाहरण के तौर पर, 2022 में, पिछले वर्ष खसरा के कुल मामलों की तुलना में खसरा के मामलों में दोगुना से भी ज्यादा मामले पाए गए। 2022 में पोलियो से लकवाग्रस्त बच्चों की संख्या 16 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। 2019-2021 के साथ तुलना की जाए तो बीते 3 साल की अवधि में पोलियो से लकवाग्रस्त हुए बच्चों की संख्या में 8 गुना बढ़ोतरी हुई।
जीरो डोज में 3 लाख की कमी आई
जीरो डोज (जिन तक टीका नहीं पंहुचा गया या जो छूट गए) 2020-2021 के बीच-महामारी के दौरान बच्चों की संख्या बढ़कर 30 लाख हो गई थी। भारत टीकाकरण में सुधार करते हुए इस संख्या को कम करते हुए 27 लाख तक ले आया, सीधे तौर पर 3 लाख की कमी हुई है।
टीके के प्रति विश्वास में भारत सबसे आगे
यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि सिंथिया मेककेफरी ने कहा कि द स्टेट ऑफ द वर्ल्डस चिल्ड्रन रिपोर्ट भारत को विश्व के उन देशों में से एक देश के रूप में प्रस्तुत करती है जहां टीके के प्रति सबसे अधिक विश्वास है। महामारी के दौरान सबसे बड़ी वैक्सीन ड्राइव भरोसा बनाने और प्रत्येक बच्चे को टीका लगाने के लिए नियमित टीकाकरण करने और लोगों को जागरुक करने में सफल हुई।
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टीके से बच्चे को ही नहीं समुदाय को भी लाभ मिलता है
मेककेफरी का कहना है कि टीकाकरण मानवता की सबसे उल्लेखनीय सफल कहानियों में से एक है, ये बच्चों को स्वस्थ जिंदगी जीने और समाज में योगदान की अनुमति देता है। टीकाकरण के साथ आखिरी बच्चे तक पहुंचना समान हिस्से का अहम चिन्ह है, जिसमें सिर्फ बच्चे को ही लाभ नहीं होता बल्कि सारा समुदाय लाभान्वित होता है। नियमित टीकाकरण और मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था हमें भावी महामारियों को रोकने और रोगों और मृत्यु को कम करने में अच्छी तरह से तैयार कर सकती है।'