NEW DELHI. उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब यूपी में कांवड़ यात्रा रूट पर सभी दुकानदारों को अपना नाम लिखना जरूरी होगा।
आदेश में कहा गया है कि सभी दुकानों, ठेलों पर अपना नाम लिखें जिससे कांवड़ यात्री जान सके कि वो किस दुकान से सामान खरीद रहे हैं।
हर दुकान पर लगाना होगी नेमप्लेट
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूरे यूपी में कांवड़ मार्गों पर खाने पीने की दुकानों पर संचालक मालिक का नाम पहचान लिखना होगा। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है। साथ ही हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कड़ी कार्रवाई होगी।
आदेश के बाद विपक्ष हमलावर
सीएम योगी के इस आदेश के बाद सियासत भी तेज हो गई है। योगी सरकार के इस फैसले को विपक्षी नेता लगातार हमलावर हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती से लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा को लेकर मुजफ्फरनगर पुलिस ने नया फरमान जारी किया है कि ठेले-ढाबे सहित सभी दुकानदार अपना नाम बाहर जरूर लिखें। इसके पीछे सरकार की मंशा अल्पसंख्यक वर्ग को समाज से अलग बांटने और उन्हें शक के दायरे में लाने की है। जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा।
ये खबर भी पढ़ें... MP में पीएम आवास में चल रही शराब दुकान, आबकारी विभाग ने उड़ाई नियमों की धज्जियां
बीजेपी सामाजिक सद्भाव की दुश्मन
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले में बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि बीजेपी सामाजिक सद्भाव की दुश्मन है। समाज का भाईचारा बिगाड़ने का कोई न कोई बहाना ढूंढ़ती रहती है। बीजेपी की इन्हीं विभाजनकारी नीतियों के चलते प्रदेश का सामाजिक वातावरण प्रदूषित हो रहा है। अखिलेश यादव ने इस आदेश को सामाजिक अपराध करार दिया है।
ओवैसी ने आदेश को बताया भेदभावपूर्ण
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस आदेश को भेदभावपूर्ण करार दिया और आरोप लगाया कि यह दर्शाता है कि सरकार उत्तर प्रदेश और पूरे देश में मुसलमानों को ‘दूसरे दर्जे’ का नागरिक बनाना चाहती है।
आपको बता दें कि 22 जुलाई से सावन का पावन महीना शुरू हो रहा है। सावन के पहले दिन से कांवड़ यात्रा शुरू हो जाएगी, मुजफ्फरनगर जिले से होते हुए कांवड़िए हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और यूपी के अलग- अलग जिलों में जाते हैं, हरिद्वार से हर साल 4 करोड़ कांवड़िए कांवड़ उठाते हैं। ढाई करोड़ से ज्यादा कांवड़िए मुजफ्फरनगर से होकर जाते हैं।
thesootr links
-
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें