वास्तु के अनुसार प्राचीन काल से जिन दरवाजों से मंदिर में प्रवेश हो रहा था वो अब नहीं हो रहा, दक्षिण दिशा प्रवेश के लिए शुभ नहीं

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Puneet Pandey
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वास्तु के अनुसार प्राचीन काल से जिन दरवाजों से मंदिर में प्रवेश हो रहा था वो अब नहीं हो रहा, दक्षिण दिशा प्रवेश के लिए शुभ नहीं

UJJAIN. उज्जैन के राजा महाकाल हैं और सदियों से मान्या है कि उनकी मर्जी के बिना यहां पत्ता भी नहीं हिलता। लेकिन, सवाल यह उठ रहा है कि महाकाल लोक में अचानक मूर्तियां गिर कर टूट कैसे गईं। कहा जा रहा है कि महालोक बनाने के पहले वास्तु की अनदेखी की गई जिसके कारण यह घटनाएं हो रही हैं। 

28 मई को आई आंधी में यहां स्थापित सप्तर्षियों की मूर्तियां आंधी में उखड़ गईं और टूट गईं। इसके बाद से करीब 900 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठने लगे हैं। 



सबसे ज्यादा नुकसान दक्षिण दिशा में हुआ



महाकाल लोक में चार द्वार हैं। इनके नाम पिनाकी, शंख, नंदी और नीलकंठ हैं। नंदी द्वार महाकाल मंदिर के ठीक सामने बना हुआ है जो दक्षिण दिशा में है। नंदी द्वार के बगल से ही पश्चिम दिशा में नीलकंठ द्वार है। नंदी और नीलकंठ मंदिर के मुख्य द्वार हैं।नंदी द्वार पर खड़े होने पर सामने लोक के 108 स्तंभ दिखाई देते हैं जो महाकाल मंदिर तक लेकर जाते हैं। 



दक्षिण दिशा का दरवाजा शुभ नहीं माना जाता 



मंदिर के वास्तु पर मंदिर के पुजारी आनंद शंकर व्यास ने कहा कि महाकाल लोक बनने से पहले भक्त पूर्व और उत्तरी द्वार से ही महाकाल के दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश करते थे। सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार लोग शिप्रा में स्नान करके बड़े गणपति के दर्शन करते हुए महाकाल मंदिर में प्रवेश करते थे। उज्जैन शहर से आने वाले लोग पूर्व द्वार से दर्शन के लिए जाते थे। लेकिन, अब दक्षिण और पश्चिम में मुख्य दरवाजा बना दिया गया है। इन द्वारों से आने-जाने की परंपरा कभी नहीं थी। अभी जो अपशगुन हुए हैं इनका कारण परंपराओं को बदल देना है। दक्षिण की तरफ खुलने वाला दरवाजा वास्तु के हिसाब से शुभ नहीं माना जाता। शायद इसीलिए पूरा डैमेज महाकाल लोक के दक्षिणी हिस्से में हुआ है। 



मंदिर बनाने में वास्तुविदों से राय नहीं ली



महालोक पर वास्तुविदों का कहना है कि महाकाल गुफाओं के वासी हैं, लेकिन उनकी बड़ी-बड़ी मूर्तियां प्रदर्शन के लिए लगा दी गई हैं जो ठीक नहीं है। दूसरे ज्योर्तिलिंगों में उनके वास्तु के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है। उज्जैन में महालोक निर्माण के लिए यहां के किसी भी वास्तुविद की सलाह नहीं ली गई।


महाकाल मंदिर Ujjain mahakaal mandir Vaastu