वंदे भारत ट्रेन की सुरक्षा पर संकट: तेज रफ्तार में मवेशियों से टकराव बना खतरा

रेलवे सुरक्षा आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया है सामान्य ट्रेनों की तुलना में वन्दे भारत का पहला डिब्बा काफ़ी हल्का है और इस कारण इस हाई-स्पीड ट्रेन के मवेशियों से टकराने पर दुर्घटना हो सकती है।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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Vande Bhaarat Train

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वंदे भारत एक्सप्रेस एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन, इस बार मामला रफ्तार का नहीं बल्कि सुरक्षा से जुड़ा है। रेलवे सुरक्षा आयोग  ने ट्रेन की डिज़ाइन को लेकर चिंता जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है सामान्य ट्रेनों की तुलना में वन्दे भारत का पहला डिब्बा काफ़ी हल्का है और इस कारण इस हाई-स्पीड ट्रेन के मवेशियों से टकराने पर दुर्घटना हो सकती है। ऐसे समय में जब रेलवे बहुत से रूट्स पर इस सेमी हाई स्पीड वंदेभारत एक्सप्रेस चलाने की योजना बना रहा है, यह रिपोर्ट लोगों में इस ट्रेन को लेकर डर पैदा कर सकती है। पहले भी वंदे भारत ट्रेन से कई गायों के टकराने की घटनाएं हो चुकी हैं और इसने ट्रेन के आगे के कोच को नुकसान पहुंचाया है।

क्या है सिफारिश

  • 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाले रूट्स पर सभी लेवल क्रॉसिंग गेट हटाने की सिफारिश की गई है।
  • रेलवे ट्रैक के दोनों ओर मजबूत फेंसिंग बनाने का सुझाव।
  • रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की नियमित गश्त और तैनाती जरूरी।
  • किसानों के लिए अंडरपास या सबवे की जरूरत ताकि वे मवेशियों के साथ ट्रैक पार न करें।

निर्माण और डिज़ाइन टीम का क्या कहना है?

ट्रेन डिजाइन टीम के प्रमुख और ICF के पूर्व प्रधान चीफ मैकेनिकल इंजीनियर शुभ्रांशु ने कहा -फ्रंट नोज को टकराव की स्थिति में झटका सहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ट्रेन में कैटल गार्ड भी लगा है जो रुकावट हटाने में मदद करता है। उन्होंने यह भी बताया कि वंदे भारत में इंटरनल पावर डिस्ट्रिब्यूशन होता है। इसमें आगे इंजन नहीं होता, यह EMU/MEMU सेटअप जैसा है। इससे सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ता।

ट्रेन से जुड़े रोचक तथ्य

ICF चेन्नई, RCF कपूरथला, और MCF रायबरेली में इस ट्रेन की कोच बनाई जा रही हैं।
अब तक 136 वंदे भारत सेवाएं शुरू हो चुकी हैं।
2024 में ही 62 नई ट्रेनें चलाई गईं।
यह केवल  52 सेंकड में 100 किलोमीटर की स्पीड पकड़ लेती है।

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ये भी हो सकते हैं समाधान?

  • सभी हाई स्पीड रूट्स को फुली फेंस्ड कॉरिडोर में बदला जाए।
  • AI आधारित सिस्टम जो ट्रैक पर रुकावट की तुरंत पहचान कर सके।
  • ट्रेन की फ्रंट बोगी को और मजबूत बनाने की जरूरत।
  • कैटल ट्रैप सिस्टम और टाइम अलर्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल।
  • अगर ट्रेन में आग लग जाए या कोई दूसरी इमरजेंसी हो, तो दरवाज़े ऑटोमैटिक तरीके से खुल जाएँ — ताकि रेस्क्यू में समय न लगे।
  • केबिन (ड्राइवर के कंट्रोल रूम) से दरवाज़ों को ऑपरेट करने के लिए ऐसी खास केबल हो जो आग लगने की स्थिति में भी काम करती रहे।
  • आपातकाल में उपयोग होने वाली सीढ़ियाँ वर्तमान में इस्तेमाल के लिए ज्यादा सुरक्षित और सुविधाजनक बनाना ज़रूरी है।
  • वंदे भारत में भी राजधानी एक्सप्रेस जैसे बाहर मज़बूत ग्रैब हैंडल होने चाहिये ताकि बाहर निकलते समय यात्रियों को सहारा मिल सके।
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    FAQ

    1. वंदे भारत ट्रेन की अगली बोगी हल्की क्यों होती है?
    वंदे भारत ट्रेन का डिज़ाइन इंजन रहित होता है। इसमें इंटरनल पावर डिस्ट्रिब्यूशन होता है जिससे फ्रंट कोच हल्का होता है। यह तकनीक EMU/MEMU ट्रेनों की तरह है और इससे संचालन आसान होता है।
    2. क्या वंदे भारत में कैटल गार्ड होता है?
    हाँ, वंदे भारत ट्रेनों में कैटल गार्ड लगाया गया है जो सामने आने वाली रुकावटों को ट्रैक से हटाने में मदद करता है। लेकिन यह तेज रफ्तार पर पूर्ण सुरक्षा की गारंटी नहीं देता।
    3. रेलवे सुरक्षा आयोग ने क्या सुझाव दिए हैं?
    आयोग ने सुझाव दिया है कि हाई-स्पीड रूट्स पर लेवल क्रॉसिंग गेट हटाए जाएं, ट्रैक के दोनों ओर फेंसिंग की जाए, और RPF की तैनाती के साथ-साथ किसानों के लिए अंडरपास बनाए जाएं।
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