किसान आंदोलन को लेकर उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने केंद्र सरकार से सीधे सवाल किए हैं। धनखड़ ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल किया कि किसानों से किए गए वादों का क्या हुआ और उन्हें पूरा क्यों नहीं किया गया? इसके साथ ही उपराष्ट्रपति ने यह भी सवाल किया कि किसानों से बातचीत क्यों नहीं की जा रही है और उनका हक क्यों नहीं दिया जा रहा है। धनखड़ ने किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार की नीतियों पर गंभीर चिंता जताई और तत्काल समाधान की जरूरत पर बल दिया। इस लेख में हम उपराष्ट्रपति द्वारा उठाए गए सवालों और उनके विचारों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
कृषि मंत्री से सवाल, वादे क्यों नहीं निभाए गए?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सीधे सवाल किया कि किसानों से जो वादे किए गए थे, उनका क्या हुआ? उन्होंने पूछा कि अगर किसानों से लिखित में कोई वादा हुआ था तो उसे पूरा क्यों नहीं किया गया? उनका मानना था कि यह समय है जब इन वादों को निभाया जाना चाहिए और किसानों के साथ तत्काल संवाद शुरू किया जाना चाहिए।
Farmer परेशान और पीड़ित क्यों
उपराष्ट्रपति ने Farmer Protest के जारी रहने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पिछले साल भी आंदोलन हुआ था और इस साल भी आंदोलन जारी है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत कभी इतनी ऊंचाई पर नहीं था, फिर भी Farmer परेशान और पीड़ित क्यों हैं? उन्होंने कहा कि इस स्थिति में बदलाव की जरूरत है और हम ऐसे रास्ते पर जा रहे हैं जो खतरनाक हो सकता है।
उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार से गंभीर सवाल किए और इसके समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत बताई। उनके शब्दों में, किसानों के अधिकारों और उनकी समस्याओं पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि आंदोलन का समाधान हो सके और देश की आत्मा को आहत होने से बचाया जा सके।
किसानों को अधिकार देने में कंजूसी क्यों
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि किसानों के साथ बातचीत बिना किसी देरी के शुरू होनी चाहिए और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों से किए गए सभी वादे पूरे हों। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के विजन का हवाला देते हुए कहा कि जटिल समस्याओं का समाधान बातचीत से ही हो सकता है और सरकार को किसानों के साथ संवाद बढ़ाने की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने सरकार पर किसानों को उनके अधिकार देने में कंजूसी करने का आरोप लगाया। उन्होंने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और कहा कि सरकार को बिना किसी देरी के किसानों को उनके अधिकार देने चाहिए। उनका मानना है कि जब वादा किया जाता है तो उसे पूरा किया जाना चाहिए।
भारत की आत्मा को नहीं छेड़ सकते
अपने बयान में उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम अपने Farmer से लड़कर भारत की आत्मा को नहीं छेड़ सकते। उन्होंने यह भी कहा कि अगर संस्थाएं सक्रिय होतीं और योगदान देतीं तो शायद ये समस्याएं कभी पैदा ही नहीं होतीं। उनका मानना है कि इस संकट का जल्द समाधान होना चाहिए और अब समझौते की ओर बढ़ने का समय आ गया है।
thesootr links
द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें